सखी री! आया होली का त्यौहार। .
पवन बसन्ती रस-रंग घोले,
फगुनाई सी बयार ।
सखी री! आया होली का त्यौहार।।
कली कली मुसुकाये, भ्रमर सब -
लुटने को वेज़ार ।
अवगुंठन से झांकें कलियाँ ,
भ्रमर करें गुंजार.......
घूंघट पट से झांकें सखियाँ ,
पिया करें मनुहार ।
सखी री ! आया होली का त्यौहार।।
रात की रानी बन में गमके ,
झूमे मलय बहार ...
अंग अंग में रस रंग सरसे,
मधु ऋतु है रस सार ।
प्रीती रीति का पाठ पढ़ाने ,
आयी ऋतु श्रृंगार ।
सखी री आया होली का त्यौहार ।।
खूबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआभार ।।
dineshkidillagi.blogspot.com
पर आपके आशीर्वाद का इन्तजार है ।।
सार्थक और सामयिक प्रस्तुति, बधाई.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग " meri kavitayen" की नवीनतम प्रविष्टि पर आप सादर आमंत्रित हैं.
खूबसूरत पोस्ट है । मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंHoli wishes to u too Sikha !!
जवाब देंहटाएंEnjoy this festive season :)
रात की रानी बन में गमके ,
जवाब देंहटाएंझूमे मलय बहार ...
अंग अंग में रस रंग सरसे,
मधु ऋतु है रस सार ।
प्रीती रीति का पाठ पढ़ाने ,
आयी ऋतु श्रृंगार ।
सखी री आया होली का त्यौहार ।
bahut sundar shabdon me aapne bharatiy nari blog me holi ke rang bhare hain.aabhar .
धन्यवाद रविकर व अतुल जी गीत को मन्च पर सजाने हेतु...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शुक्ला जी....व सन्गीता जी...हेप्पी होली..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ज्योति जी..व शालिनी जी....
जवाब देंहटाएं----भारतीय नारी को होली की शुभ-कामनायें ।
नववर्ष में जीवन में रन्ग व खुशियां आयें ।
बहुत बढ़िया होली गीत ....
जवाब देंहटाएंहोली की आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें!
dhanyavad kavita ji....
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