विवाह के बाद इस गाने के साथ ’बाबुल की दुआॅए लेती जा:ःःःःःःःमायके की कभी याद न आये,दुल्हन की विदाई होती है।दुल्हन भी दिल में कई सपने संजोये व हसरत लिए सुसराल में कदम रखती है,लेकिन सुसराल में अपने पिया की प्रिया बनने के साथ सास-ससुर की दुलारी बहु, देवर व नंनद की प्यारी मां स्वरूपा भाभी भी बनना हैै।नई दुल्हन सुसराल वालो के लिए आकर्षण का केन्द्र बिन्दु होती है,समस्त परिवार की निगाहें उसके चाल,व्यवहार ,हॅसने व उठने -बैठने पर होती है, ऐसे समय में नई दुल्हन को कुछ बातों को भुलना होगा कुछ को अपनाना होगा। सर्वप्रथम नई दुल्हन को अपने अहम् को त्यागकर ‘मै’ के स्थान पर हम को अपनाना होगा। मर्यादित व शिष्टतापूर्ण व्यवहार से सुसराल वालो को अपना बनाना चाहिए। माॅ का स्थान सुसराल में सासुमां को देना होगा। मीठी वाणी से सबके दिलो पर राज करना होगा। बात-बात मेें मायके के गुणगान न करके सुसराल को प्राथमिकता देनी चाहिये। नई दुल्हन को सुसराल के तौर-तरिको पर टीका-टिप्पणी न करके धीरे-धीरे इसे समझने ,अपनाने व जानने की कोशिश करनी चाहिए, नापंसद होने पर समय व माहौल के साथ बदलने की कोशिश करनी चाहिए। नई दुल्हन को अपनी चाल व आवाज को संयमित रखकर चलना और बोलना, न की हाथों को हिलाते हुए तेज-तेज स्वर में बोलना चाहिए। नई दुल्हन सुसराल में सिर पर पल्लू लेना न भूले,इसे अपनी पहचान और सुसराल की शान समझे । नई दुल्हन सुसराल में प्यार के बदले प्यार बाॅटे ,न की सुसराल वालो के प्यार का अनुचित फायदा उठाकर,गलत व्यवहार करे। पति की बाॅस बनने की कोशिश न करे, बल्कि अपने प्यार व व्यवहार से धीरे-धीरे उनका विश्वास व दिल जीते । नई दुल्हन को सुसराल में छोटे-बडे रिश्तो की अहमियत को समझते हुए,उनके अनुसार आदर ,प्यार दुलार और सम्मान देना चाहिए। सुसराल में नौकरो के साथ भी नम्रता पूर्ण व्यवहार रखे। सुसराल वालोे से लेना ही नहीं ,देना भी सीखे । सुसराल में खुशनुमा माहौल के लिए त्याग करना पडे तो करे और हमेशा सहयोग के लिए तैयार रहे। नई दुल्हन हमेशा इस बात को समझे कि आपका पति पहले किसी का बेटा और भाई है,इस पर हक जताकर माॅ व बहन के प्यार को ठेस न पहुचाए। सास-सुसर को दिल से माता-पिता समझे और माता-पिता की तरह सम्मान और प्यार दें।इन बातों का ध्यान रखकर नई दुल्हन सुसराल में अपना स्थान बनाकर सबकी दुलारी बहु ,भाभी व प्रिया का खिताब जीत सकती है। प्रेषकः-
श्रीमति भुवनेश्वरी मालोत
अस्पताल चैराहा
महादेव कॅंालोनी
बाॅंसवाडा राज
श्रीमति भुवनेश्वरी मालोत
अस्पताल चैराहा
महादेव कॅंालोनी
बाॅंसवाडा राज
सार्थक प्रस्तुति, आभार.
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ब्लॉग को हल्का कर दें,कुछ भी नहीं पढ़ा जाता है,विषय को उभरने दें,सफाई कर डालें ब्लॉग की !आभार !
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