बुधवार, 15 फ़रवरी 2012

क्या पुरुष इसी तरह देंगे साथ महिलाओं को सशक्त करने में ?

क्या पुरुष इसी तरह देंगे साथ महिलाओं को सशक्त करने में ? अच्छे ओहदों पर विराजमान पुरुष जब महिलाओं के साथ ऐसा कुत्सित आचरण करेंगे तब अन्य सामान्य पुरुषों से क्या उम्मीद की जा सकती है ?पढ़िए ये दो खबरे -


१-भोपाल।। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कलेक्टर ज्ञानेश्वर बी. पाटिल एक बार फिर मुसीबत में फंस गए हैं। इस बार उन पर पर महिला बाल विकास अधिकारी उपासना राय ने देर रात को फोन करने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। इस मामले में चंबल संभाग के कमिश्नर अशोक कुमार शिवहरे ने पाटिल से जवाब मांगा है।


२- भोपाल।। छिंदवाड़ा जिले के सीएमओ (चीफ मेडिकल ऑफिसर) डॉ. एस.आर. चौहान ने डीएम पवन शर्मा पर आरोप लगाया है कि वह हर रात उनसे लड़कियां भेजने की मांग करते हैं। उन्होंने डीएम पर गाली देने और रिश्वत मांगने का आरोप भी लगाया है। 
[दोनों ख़बरें नवभारत टाइम्स से साभार ]


                                                ऐसे पुरुष अधिकारीयों के खिलाफ  जल्द से जल्द कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए जिससे भारतीय समाज में सशक्त होती नारी के कदमों को फिर से चौखट के अन्दर न धकेल दिया जाये व् अन्य पुरुष अधिकारियों की छवि भी धूमिल न हो .
                            शिखा कौशिक 



मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

कवि का वेलेंटाइन -उपहार ...डा श्याम गुप्त

प्रिय तुमको दूं क्या उपहार ।
मैं तो कवि हूँ मुझ पर क्या है ,           
कविता गीतों की झंकार ।
प्रिय तुमको दूं क्या उपहार ।। 


कवि के पास यही कुछ होता ,
कवि का धन तो बस यह ही है;  
कविता  गीतों का संसार ।
प्रिय तुमको दूं क्या उपहार ।।

गीत रचूँ तो तुम ये समझना,
पायल  कंगन चूड़ी खन-खन ।
छंद  कहूं  तो यही समझना ,
कर्णफूल बिझुओं की रुनझुन ।।

मुक्तक रूपी बिंदिया लाऊँ ,
या नगमों से होठ रचाऊँ ।
ग़ज़ल कहूं तो उर में हे प्रिय,
पहनाया  हीरों  का  हार ।।............प्रिय तुमको...।।

दोहे  बरवै-छंद  सवैया ,
अलंकार  रस  छंद-विधान  ।
लाया तेरे  अंग-अंग को,
विविध रूप के प्रिय परिधान ।।

भाव ताल लय भाषा वाणी, 
अभिधा, लक्षणा और व्यंजना ।
तेरे  प्रीति-गान कल्याणी,
तेरे रूप की प्रीति वन्दना ।।

नव-गीतों की बने अंगूठी,
नव-अगीत की मेहंदी भाये ।
जो घनाक्षरी सुनो तो समझो,
नकबेसर छलकाए प्यार ।।.............प्रिय तुमको...।।


नज्मों की करधनी मंगालो,
साड़ी छप्पय कुंडलियों की ।
चौपाई की मुक्ता-मणि से ,
प्रिय तुम अपनी मांग सजालो ।।


शेर  समीक्षा  मस्तक-टीका,
बाजूबंद  तुकांत-छंद  हों ।
कज़रा-अलता, कथा-कहानी ,
पद, पदफूल व हाथफूल हों ।।


उपन्यास  केशों की वेणी ,
और अगीत  फूलों का हार ।
मंगल-सूत्र सी वाणी वन्दना,
काव्य-शास्त्र दूं तुझपर वार ।।.

प्रिय तुमको दूं क्या उपहार ।।
 

सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

सच कहूँ .... मुझे अच्छा नहीं लगता !




जब कोई टोकता है 
इतनी उछल कूद
मत मचाया कर 
तू लड़की है 
जरा तो तमीज़ सीख ले  
क्या  लडको  की  तरह  
घूमती -फिरती  है 
सच  कहूँ 
मुझे  अच्छा  नहीं  लगता  !

जब कोई कहता है 
तू लड़की है 
अब बड़ी हो गयी है 
क्या गुड़ियों से खेलती 
रहती है ?
घर के काम काज में 
हाथ बंटाया कर 
सच कहू 
मुझे अच्छा नहीं लगता !

जब कोई समझाता  है 
माँ को 
ध्यान रखा करो इसका 
जवान हो गयी है 
कंही कुछ ऊँच  -नीच 
न कर बैठे 
सच कहूँ 
मुझे अच्छा नहीं लगता !

पिता जी जब हाथ जोड़कर 
सिर-कंधें झुकाकर
लड़के वालों से करते 
हैं मेरे विवाह की बात 
हैसियत से ज्यादा दहेज़ 
देने को हो जाते है तैयार 
सच कहूँ 
मुझे अच्छा नहीं लगता ! 

ससुराल में जब 
सुनती हूँ ताने 
क्या दिया तेरे बाप ने ?
माँ ने कुछ सलीका नहीं सिखाया ?
सच कहूँ 
मुझे अच्छा नहीं लगता !

बेटा जन्मा ...थाल बजे 
उत्सव मनाया गया 
बेटी जन्मी ...मातम 
सा छा गया 
बेटे को दुलारा गया 
बेटी को दुत्कारा गया 
सच कहूँ 
मुझे अच्छा नहीं लगता !

मेरी बेटी भी 
उसकी होने वाली बेटी भी 
क्या यही सब सहती रहेंगी 
बस यही कहती रहेंगी ?
सच कहूँ 
मुझे अच्छा नहीं लगता !
  

शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

मौत

भयावह रूप ले वो क्यूँ,
इस तरह जिद् पर अड़ी है
बड़ी क्रुर दृष्टि से देख रही मुझे
देखो मौत मेरे सामने खड़ी है ।

ये देख खुश हूँ मैं अपनो के साथ
जाने क्या सोच रही है
कुछ अजीब सी मुद्रा में
देखो मौत मेरे सामने खड़ी है ।

चली जाऊंगी मैं साथ उसके
नहीं डर है मुझे उसका
फिर क्यों वो संशय में पड़ी है
देखो मौत मेरे सामने खड़ी है ।

कभी गुस्से में झल्ला रही है
कभी हौले हौले मुस्कुरा रही है
इस तरह मुझे वो फँसा रही है
देखो मौत मेरे सामने खड़ी है ।

देख मेरे अपनों की ताकत
और मेरे हौसलों की उड़ान
से वो सकपका रही है
देखो मौत मुझसे दूर जा पड़ी है ।

ले जाना चाहती थी साथ मुझे
अब वो मुझसे दूर खड़ी है
मेरे अपनों के प्यार से वो
छोड़ मुझे मुझसे दूर चली है ।
© दीप्ति शर्मा

बुधवार, 8 फ़रवरी 2012

दष्ठौन...कविता....डा श्याम गुप्त....


पुत्री के जन्म दिन पर
दष्ठौन, पार्टी !
कहा था आश्चर्य से
तुमने भी |
मैं जानता था पर-
मन ही मन,
तुम खुश थीं ;
हर्षिता, गर्विता |

दर्पण में
अपनी छवि देखकर,
हम सभी प्रसन्न होते हैं ;
तो अपनी प्रतिकृति देखकर -
कौन हर्षित नहीं होगा |

’पुत्र जन्म पर यह सवाल-

क्यों नहीं किया था तुमने ”-
मैंने भी पूछ लिया था
अनायास ही |
इसका उत्तर-
लोगों के पास तो था ,
सही या गलत - 
पर नहीं था,
तुम्हारे पास ही |

प्रकृति-पुरुष,

विद्या-अविद्या ,
ईश्वर-माया,
शिव और शक्ति ;
युग्म होने पर ही -
पूर्ण होती है,
यह संसार रूपी प्रकृति |

अतः गृहस्थ रूपी संसार की ,

पूर्णाहुति में ही है,
यह पार्टी॥

कहां प्लेस की जा रही हैं लड़कियां-READ THIS


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कहां प्लेस की जा रही हैं लड़कियां

पिछले आठ वर्षो के दौरान मानव तस्कर छत्तीसगढ़ के जनजातीय इलाके सरगुजा, रायगढ़ और जशपुर से भोली-भाली लड़कियों को नौकरी और प्रशिक्षण के नाम पर भगा कर ले जा रहे हैं। बाद में इन लड़कियों को दिल्ली

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                                                                               WITH REGARDS
                                                                          SHIKHA KAUSHIK