बुधवार, 14 दिसंबर 2011

सुहाना जीवन ......कविता...डा श्याम गुप्त ....




छत पर , वरांडे में ,
या जीने की ऊपर वाली सीढ़ी पर ;           ...
खेलते हुए,
या लड़ते हुए ;
तुमने सदैव ही लिया था,
मेरा पक्ष |
मेरे न खेलने पर ,
तुम्हारा भी वाक्-आउट ;
मेरे झगड़ने पर,
पीट देने पर भी ,
तुम्हारा मुस्कुराना ;
एक दूसरे से नाराज़ होने पर,
बार बार मनाना ;
जीवन कितना था सुहाना ,
हे सखि !
जीवन कितना था सुहाना ||

मंगलवार, 13 दिसंबर 2011

ब्लोगिंग का महिला सशक्तिकरण में योगदान [भाग दो ]



ब्लोगिंग का महिला सशक्तिकरण में योगदान [भाग दो  ] 


महिला  ब्लोगर्स अपने ब्लोग्स के माध्यम से अपनी बहुमुखी प्रतिभा को इस विश्व के समक्ष प्रस्तुत कर रही हैं .इंटरनेट की इस सुविधा ने उनके भीतर छुपी साहित्यिक प्रतिभा को एक नया आयाम प्रदान किया है .कविता;कहानी;ग़ज़ल ,आलेख -ऐसी कौन सी गद्य -पद्य  की विधा है जिसमे महिला  ब्लोगर्स ने अपनी  सृजनात्मक  योग्यता को प्रकट  न किया हो .कुछ सम्मानित महिला ब्लोगर्स के ब्लोग्स इस प्रकार हैं -


* वीर बहुटी -निर्मला कपिला 


* बिखरे मोती -संगीता स्वरुप ( गीत )


*हरकीरत ' हीर' -हरकीरत ' हीर' द्वारा 


* sharadakshara -Dr (Miss) Sharad Singh 


* Sudhinama -Sadhana Vaid 


* varsha singh -Dr Varsha सिंह




  *  अजित गुप्‍ता का कोना -अजित  गुप्ता


* शब्द-शिखर’   -आकांक्षा  यादव 


* ज़ख्म…जो फूलों ने दिये -वन्दना द्वारा
* रसबतिया-सर्जना शर्मा- 


* डॉ.कविता'किरण'( कवयित्री) Dr.kavita'kiran' (poetess) -Dr. kavita 'kiran' (poetess)


* डॉ.मीनाक्षी स्वामी-डॉ.मीनाक्षी स्वामी 
*रचना रवीन्द्र -रचना दीक्षित
* तूलिकासदन -सुधाकल्प 


*परवाज़...शब्दों के पंख -डॉ॰ मोनिका शर्मा 


* मन पाए विश्राम जहाँ -Anita 


* मीमांषा meemaansha -Rashmi Savita 


*मेरा आकाश ... ! -pratima sinha 


*अनुशील -अनुपमा पाठक 


* अभिनव रचना (Hindi Poems)-ममता त्रिपाठी 


* अमर भारती -श्रीमती अमर भारती


* अमृतरस -डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति 


* कासे कहूँ? -kase kahun?by kavita verma


* कुछ कहानियाँ,कुछ नज्में -Sonal रस्तोगी


* देखिये एक नजर इधर भी -Alokita 




*दुनिया रंग रंगीली -Minakshi Pant


*नारीवादी-बहस -mukti 






* truth difficult 2 accept -neeraj तोमर




* आकांक्षा-आशा


* anupama's sukrity.-अनुपमा त्रिपाठी.


*  bhavnayen - ज्योति डंग 


* KAVITA RAWAT -कविता रावत 


* KAVITAYEN -Urmi 


*Ladli -सदा 


   * Laghu-Katha - My Hindi Short Stories -Pavitra Agarwal -पवित्रा 


*http://mere sapne mere geet.blogspot .com-Dr.Sushila Gupta


* Random Scribblings -ज्योति  मिश्रा


* Roshi -रोशी


* SADA -सदा 


*sapne -शशि  पुरवर




*जीवन यात्रा , एक दृष्टिकोण -शारदा अरोरा 


      
           
                      कुछ अन्य विषयों पर महिला ब्लोगर्स के ब्लोग्स इस प्रकार हैं -






mera samast -अलका  सरवत -जडी बूटियाँ हमारा खजाना हैं.न विश्वास हो तो आजमा कर देखें


 जीवन के अनुभव -swaran lata 


 आज का राशि फल -संगीता पुरी-राष्‍ट्रीय, अंतर्राष्‍ट्रीय घटनाओं, शेयर बाजार और मौसम के अनुमान के साथ प्रतिदिन का राशिफल भी


कानूनी ज्ञान -शालिनी कौशिक-


नारी , NAARI -रचना


 भारत दर्शन ......Bharat Darshan -अल्पना वर्मा 


                               मैंने एक प्रयास  किया है आप भी  टिप्पणी  के 


माध्यम से महिला ब्लोगर्स के ब्लोग्स के बारे में बताएं और यदि आप 


स्वयं महिला है तो अपने ब्लॉग का उल्लेख अवश्य करें .


शुभकामनाओं के साथ


         
                                 शिखा कौशिक 


                             [विचारों का चबूतरा ]

मोटापे से मुक्ति

महिलाओं के लिए मोटापा भी एक समस्या है .
अगर आप थुलथुले मोटापे से परेशान हैं तो अपनाएं नीचे लिखे लहसुन के अचूक प्रयोग-
- लहसुन की पांच-छ: कलियां पीसकर मट्ठे में भिगो दें। सुबह पीस लें। उसमें भुनी हिंग और अजवाइन व सौंफ के साथ ही सोंठ व सेंधा नमक, पुदीना मिलाकर चूर्ण बना लें। आधा तोला चूर्ण रोज फांकना चाहिए।
http://blogkikhabren.blogspot.com/2011/12/blog-post_12.html

सोमवार, 12 दिसंबर 2011

भगवती शांता परम सर्ग-7 भाग-4

भगवती शांता परम सर्ग-7 भाग-4

चंपा-सोम
कई दिनों का सफ़र था, आये चंपा द्वार |
नाविक के विश्राम का, बटुक उठाये भार ||

राज महल शांता गई, माता ली लिपटाय |
मस्तक चूमी प्यार से, लेती रही बलाय ||

गई पिता के पास फिर, पिता रहे हरसाय |
स्वस्थ पिता को देखकर,फूली नहीं समाय ||

क्षण भर फिर विश्राम कर, गई सोम के कक्ष |
रूपा पर मिलती वहाँ, धक्-धक् करता वक्ष ||

गले सहेली मिल रही, पर आँखों में चोर |
सोम हमारे हैं कहाँ, अचरज होता  घोर ||

किन्तु सोम आये नहीं, की परतीक्षा खूब |
शांता शाळा को चलीं, सह रूपा के ऊब ||

शाला में स्वागत हुआ, मन प्रफुल्लित होय |
अपनी कृति को देखकर, जैसे साधक सोय ||

आत्रेयी आचार्या, गले लगाती आय |
बाला सब संकोच से, खुद को रहीं छुपाय ||

नव कन्याएं देखतीं, कौतूहल वश खूब |
सन्यासिन के वेश में, पूरी जाती ड़ूब ||

आनन्-फानन में जमे, सब उपवन में आय |
होती संध्या वंदना, रूपा कह समझाय ||

परिचय देवी का दिया, दिया ज्ञान का बार |
महाविकट दुर्भिक्ष से,  सबको  गई उबार || 

यह है अपनी शांता,  इनका  आशीर्वाद |
कन्या शाला चल पड़ी, गूंजा शुभ अनुनाद ||

पुत्तुल-पुष्पा थीं बनी, तीन वर्ष में मित्र |
मात-पिता के शोक में, स्थिति बड़ी विचित्र ||

कौला-सौजा राखती, कन्याओं का ध्यान |
पाक-कला सिखला रहीं, भाँति-भाँति पकवान ||

दोनों बालाएं मिलीं, शांता ले लिपटाय |
आंसू पोंछे प्रेम से, रही शीश सहलाय ||

क्रीडा कक्षा का समय, बाला खेलें खेल |
घोड़ा आया सोम का, रूपा मिले अकेल ||

शांता को देखा वहां, आया झट से सोम |
छूता दीदी के चरण , दिल से कहता ॐ ||

चेहरे की गंभीरता,  देती इक सन्देश |
हलके में मत लीजिये, हैं ये चीज विशेष ||

दीदी अब घर को चलो, माता रही बुलाय |
कई लोग बैठे वहाँ,  काका  काकी आय ||

सौजा कौला मिल रहीं, रमणी है बेचैन |
दालिम काका भी मिले, आधी बीती रैन ||

नाव गाँव का कह रही, वो सारा वृतांत |
सौजा पूंछी बहुत कुछ, दालिम दीखे शांत ||
 
पर मन में हलचल मची, जन्मभूमि का प्यार |
 शाबाशी पाता बटुक, किया ग्राम उद्धार ||

रमणी से मिलकर करे, शांता बातें गूढ़ |
रूपा तो हुशियार है, बना सके के मूढ़ ||

अगले दिन रूपा करे, बैठी साज सिंगार |
जाने को उद्दत दिखे, बाहर राजकुमार ||

शांता आकर बैठती, करे ठिठोली लाग |
सखी हमारी जा रही, कहाँ लगाने आग ||

सुन्दरता को न लगे, बहना कोई दाग |
अपनी रक्षा खुद करे, रखे नियंत्रित राग ||

रूपा को न सोहता, असमय यह उपदेश |
आया अंग नरेश का, इतने में सन्देश ||

रूपा को वो छोड़कर, गई पिता के पास |
चिंतित थोडा दीखते, चेहरा तनिक उदास ||

करें शिकायत सोम की, चंचलता इक दोष |
राज काज हित चाहिए, सदा सर्वदा होश ||

आयु मेरी बढ़ रही, शिथिल हो रहे अंग |
किन्तु सोम न सीखता, राज काज के ढंग ||

उडती-उडती इक खबर, करती है हैरान |
रूपा का सौन्दर्य ही, खड़े करे व्यवधान ||

हुआ राजमद सोम को, करना चाहे द्रोह |
रूपा मम पुत्री सरिस, रोकूँ कस अवरोह ||

तानाशाही सोम की, चलती अब तो खूब |
राजपुरुष जब निरंकुश, देश जाय तब डूब ||

मंत्री-परिषद् में अगर, रहें गुणी विद्वान |
राजा पर अंकुश रहे,  नहीं बने शैतान ||

पञ्च रतन का हो गठन, वही उठाये भार | 
करें सोम की वे मदद, करके उचित विचार ||

शांता कहती पिता से, दीजे उत्तर तात |
दे सकते क्या सोम को, रूपा का सौगात ||

करिए इनके व्याह फिर, चुनिए मंत्री पाँच |
महासचिव की आन पे, ना आवे पर आँच ||

सहमति में जैसे हिला, महाराज का शीश |
शांता की कम हो गयी, रूपा के प्रति रीस ||

तुरत बुलाया भूप ने,  आया जल्दी सोम |
दीदी पर पढ़ते नजर, रोमांचित से रोम ||

डुग्गी सारे देश में, एक बार बज जाय |
पांच रत्न चुनने हमें, कसके ठोक बजाय ||

राज कुंवर लेने लगे, जैसे लम्बी सांस |
दीदी की आई नहीं, अगली बातें रास ||

एक पाख में कर रहे, हम सब तेरा व्याह |
कह सकते हो है अगर, कोई अपनी चाह ||

पिता श्री क्यों कर रहे, इतनी जल्दी लग्न |
फिर रूपा के ख्याल में, हुआ अकेला मग्न ||

शुरू हुई तैयारियां, दालिम खुब हरसाय |
नेह निमंत्रण भेजते, सबको रहे बुलाय ||

रूपा तो घर में रहे, सोम उधर घबरात |
नींद गई चैना गया, रह रहकर अकुलात ||

शादी के दो  दिन बचे, आये अवध-भुवाल |
कौशल्या के साथ में, राम लखन दोउ लाल ||

सृंगी तो आये नहीं, पहुंचे पर ऋषिराज |
पूर्ण कुशलता से हुआ, शादी का आगाज ||

जब हद से करने लगा, दर्द सोम का पार |
दीदी से जाकर मिला, विनती करे हजार ||
 
दीदी कहती सोम से, सुन ले मेरी बात |
शर्त दूसरी पूर कर, करे व्यर्थ संताप ||

कौशल्या के पास फिर, गया सोम उस रात |
माता देखे  व्यग्रता, मन ही मन मुस्कात ||

जो मुश्किल में रख सके, मन में अपने धीर |
वही सोच सकता तनय, इक सच्ची तदवीर ||

कौला के जाकर छुओ, सादर दोनों पैर |
ध्यान रहे पर बात यह, जाओ मुकुट बगैर ||
 
उद्दत जैसे ही हुआ, झुका सामने सोम |
कौला पीछे हट गई, जैसे गिरता व्योम ||

अवधपुरी की रीत है, पूजुंगी कल पांव |
छूकर मेरे पैर को,  काहे पाप चढ़ाव ||

कन्याएं देवी सरिस, और जमाता मान |
पैर पूंज दे व्याह में, माता कन्यादान ||

हर्षित होकर के भगा, सीधे दीदी पास |
जैसे खोकर आ रहा, अपने होश-हवाश ||
 
दीदी के छूकर चरण, घुसता अपने कक्ष |
हर्षित होकर नाचता, जाना कन्या पक्ष || 
 
बहन-नारि-गुरु-सखी बन, करे पूर्ण सद्कर्म |
भाव समर्पण का सदा, बनता जीवन-धर्म ||

रानी सन्यासिन बने, दासी राजकुमारि |
जीती हर किरदार खुश, नारी विगत बिसारि ||

नारी सबल समर्थ है, कितने बदले रूप |
सामन्जस बैठाय ले, लगे छांह या धूप ||
 
शारीरिक शक्ति तनिक, नारी नर से क्षीन |
अंतर-मन मजबूत तन, सहनशक्ति परवीन ||

रविवार, 11 दिसंबर 2011

जिंदगी के रंग -बच्चे ने सिखाया देश प्रेम का पाठ

                                  बात जुलाई 1999 की है ,हर साल की तरह इस साल भी मेरे चार साल के बेटे का जन्म दिन आने वाला था। परिवार में पार्टी के आयोजन पर विचार-विमर्श चल रहा था ,कहां आयोजित की जाय, कितने लोगो को आंमत्रित किया जाय क्या मीनू बनाया जाय। उस समय देश में कारगिल युद्ध चल रहा था, समाचार पत्र व टी.वी. पर आये दिन यही समाचार देखने व सुनने को मिल रहे थे। हमारी चर्चा का विषय भी कारगिल युद्ध था। कितने सैनिक हताहत हुए,े कितने मर गये उनके परिवार का क्या होगा इसी पर चर्चा होती थी। सरकार द्वारा भी लोगों से सहायता की अपील की जा रही थी। पुरा देश मुक्त हाथों से कारगिल सहायता कोष में कुछ न कुछ दे रहा था। मेरा बेटा भी बडे ध्यान से इन बातों को सुन रहा था। ऐसे माहौल में मैने 13 जुलाई 1999 को जन्म दिन पार्टी के आयोजन का निर्णय लिया क्योंकि देश प्रेम पर मातृत्व प्रेम हावी हो गया। लेकिन मेरे बेटे ने इन्कार कर दिया और कहा कि मम्मी क्यांे न हम जन्म दिन पार्टी पर होने वाला पैसा कारगिल सहायता कोष में जमा करा दे ताकि हमारे देश पर शहीद होने वाले सैनिको के परिवार के काम आ सके। उसके नन्हे हाथों द्वारा किये गये अन्श दान ने मेरे मातृत्व को धन्य कर दिया । मुझे जिंदगी में अपने परिवार से उपर उठकर देश के बारे में सोचने की प्रेरणा मेरे नन्हे बेटे से मिली और मैने हर जन्म दिन पर परोपकार के कार्यो को करने का जो संकल्प लिया था, जो आज भी सतत चल रहा हे।

                                                                                           श्रीमती भुवनेश्वरी मालोत
                                                                                                      



शनिवार, 10 दिसंबर 2011

ब्लोगिंग का महिला सशक्तिकरण में योगदान [भाग एक ]


ब्लोगिंग का महिला सशक्तिकरण  में योगदान [भाग  एक ]


आज ब्लोगिंग महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है .ब्लोगिंग ने अनेक महिलाओं को यह मौका दिया है कि वे अपने विचारों -भावनाओं से समाज को परिचित करा सकें .वे उन  मुद्दों पर लिख सकें जिन पर परिवार के पुरुष -''तुम क्या जानों इस बारे में ?'' कहकर उनकी मेधा  -प्रज्ञा  को अपमानित करते हैं .आज हमारी महिला ब्लोगर घर के भीतर के मुद्दों से लेकर विश्व में घट  रही राजनैतिक घटनाओं ,सामाजिक
सांस्कृतिक घटनाओं पर बेबाक लिख रही हैं .हमारी महिला ब्लोगर्स में कोई असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं-

[NISHA MAHARANA

मेरे बारे में

I work as an asst. proffesor in SSM B.Ed College. writing is my hobby.originally i belong to naugachia,bhagalpur.बिहार]
तो कोई सृजनात्मकता को अपना परिचय बताती  हुई लिखने को अपनी 
रुचि का नाम देती हैं -

shashi purwar

मेरे बारे में

birth place ..indore (m.p) I am a very strong person . laughing is my quality .always face any situation with smile.... it gives me strength .always like writing . ....!cool in nature.. always indulge in doing something creative . life is very creative . so i am always positive about life . शशि का अर्थ है चाँद , तो चाँद की तरह शीतलता प्रदान करने का नाम है जिंदगी . लिखना मेरी होबी है , कई पत्र पत्रिकाओ में कविता एवं लेख प्रकाशित हो चुके हैं .... लिखने की प्रेरणा मुझे मेरी माँ से मिली है .वही मेरी गुरु है .]

                   पर एक बात साफ  है कि हमारी महिला ब्लोगर्स द्वारा प्रस्तुत पोस्ट्स में निर्भीक रूप से सच्चाई   को उजागर किया जाता है .
इस सम्बन्ध में ''अजित गुप्ता जी '' का नाम विशेष रूप में लिया जा सकता है .उनकी दस माह पूर्व की इस पोस्ट  का शीर्षक ही इनकी निर्भीकता को प्रदर्शित करता है -''ममता बैनर्जी आप रेल मंत्री भी हैं! क्‍या 
                            डॉक्टर मोनिका शर्मा जी द्वारा प्रस्तुत हर पोस्ट में एक सटीक -तर्कपूर्ण नजरिये से सामयिक मुद्दे  को उठाया जाता है .इस पोस्ट को पढ़कर तो देखिये आप की  राय मुझसे भिन्न नहीं होगी -
''

भ्रष्टाचार की  तो हमारी महिला ब्लोगर्स ने अपनी कलम से इतनी कठोर 
आलोचना की है कि भ्रष्टाचार को स्वयं लज्जित होकर भाग जाना चाहिए 
इस सम्बन्ध में कुछ पोस्ट इस प्रकार प्रस्तुत की गयी -

आशा द्वारा Akanksha -3 महीने पहले पर पोस्ट किया गया

कहाँ रहे कैसे दिन बीते इसकी सुरती नहीं उनको भीग रहे उस फुहार में 

आकंठ लिप्त भ्रष्टाचार में | जब से बैठे कुर्सी पर उससे ही चिपक कर 

रह गए धन दौलत में ऐसे डूबे सारे आदर्श धरे रह गए | वे भूल गए ...

*सदियों से फलता-फूलता कारोबार : भ्रष्टाचार
कविता रावत द्वारा KAVITA RAWAT -7 महीने पहले पर पोस्ट किया गया

भ्रष्टाचार! तेरे रूप हजार सदियों से फलता-फूलता कारोबार देख


तेरा


 राजसी ठाट-बाट कौन करेगा तेरा बहिष्‍कार ! बस


नमस्कार, नमस्‍कार ! रुखी-सूखी खाने वालों को मिला बनकर


अचार इतना लजीज बन तू थाली में सजा कौन क...


*भ्रष्टाचार
Roshi द्वारा Roshi -1 महीने पहले पर पोस्ट किया गया
भ्रष्टाचार नाम का ज़हर तो है अंग अंग में समाया


कब और कैसे यह भीतर समाया, कोई भी न समझ


पाया जब हुआ नव शिशु का बीज कोख में पल्लवित


साथ ही यह आया शिशु लड़का है या लड़की फ़ौरन ही घर में यह


मसला गरमाया भ्रष्ट...


                                                   



neeraj tomer द्वारा truth difficult 2 accept -4


महीने पहले पर पोस्ट किया गया



‘भ्रष्टाचार’ की पल-पल खुलती पोल ने न केवल बड़ी-बड़ी


सियासी ताकतों को बेनकाब किया अपितु लोकतंत्र की जड़ों


को भी हिलाया दिया। वास्तविकता सामने आना और इस


अशुद्ध


चरित्र के विरूद्ध कोई कार्रवाई होना, दोनों अलग...






भ्रष्टाचार का सफाया करने हेतु श्री अन्ना जी  ने जो जन जागरण


अभियान   चलाया उसका हमारी महिला ब्लोगर्स ने पूर्ण


समर्थन  करते हुए अन्ना को दुसरे  गाँधी की उपाधि  से


विभूषित  भी किया -


*आया वापस गांधी है ... !!!!
सदा द्वारा SADA -3 महीने पहले पर पोस्ट किया गया

अन्‍ना तुम संघर्ष करो, हम तुम्‍हारें साथ हैं .. !!! वंदे


मातरम् .. !!!! इन शब्‍दों की बुलन्‍दी से मचा गगन में




शोर है ... ! सारा भारत अनेकता से एकता के सूत्र में बंध


गया है ... !! सत्‍य का य...




*   मैं भी अन्ना तू भी अन्ना
Anita द्वारा मन पाए विश्राम जहाँ -3 महीने पहले पर


 पोस्ट किया गया



मैं भी अन्ना तू भी अन्ना सोये हुए जन-जन में अन्ना फूंक


चेतना की चिंगारी,आत्मशक्ति के बल पर तुमने






भारत की तस्वीर संवारी ! रोटी से न जीता मानव  स्रोत


ऊर्जा का है भीतर, दिखा दिया संसार को सारेइतने


दिनों तक ज...                                                         




*श्री अन्ना हजारे
आशा द्वारा Akanksha -3 महीने पहले पर पोस्ट


किया गया

अपने हृदय की बात उसने , इस तरह सब से कही |


सैलाब उमढ़ा हर तरफ से , मंच की प्रभुता रही |






 ऊंचाई कोइ छू न पाया , आचरण ऐसा किया |


सम्मोहनात्मक भावनाओं से , भरम डिगने ना दिया |






अपनी बातों पर अडिग रहा , .  


                                                   

kase kahun?by kavita verma द्वारा कासे 

कहूँ? -3 महीने पहले पर पोस्ट किया गया



अन्ना हजारे जी का आन्दोलन देश के हर घर का


आन्दोलन बन गया है जिससे पता चलता हैकी सच में


लोग भ्रष्टाचार से किस कदर त्रस्त है. इस देश की


आबो हवा में बेईमानी इस तरह रच बस गयी है और


 बेईमानी करने के लिए लोग दिम...






न केवल भ्रष्टाचार बल्कि समस्याओं की जड़ -गरीबी -


आतंकवाद जैसे मुद्दों को भी महिला ब्लोगर्स ने


महत्वपूर्ण रूप से उठाया -


*[गरीबी ----- एक आकलन
Sadhana Vaid द्वारा Sudhinama ]                                      

  *   [ आतंकवाद की समस्या
Roshi द्वारा Roshi    ]                        





ये सब पोस्ट प्रमाण है आज की महिलाओं में  समाज -राष्ट्र-विश्व में घट रही घटनाओं के प्रति बढती जागरूकता  की .निश्चित रूप से ब्लोगिंग ने महिला-सशक्तिकरण की दिशा में एक सार्थक व् सकारात्मक कदम बढ़ाने हेतु महिलाओं को प्रोत्साहित किया है .


                                 शिखा कौशिक


                       [विचारों का चबूतरा ]