पेज

बुधवार, 14 सितंबर 2016

तेरी तो हर बात ग़ज़ल ...डा श्याम गुप्त ...



तेरी तो हर बात ग़ज़ल                        

तेरे दिन और रात ग़ज़ल,
तेरी तो हर बात ग़ज़ल |

प्रेम-प्रीति  की रीति ग़ज़ल,
मुलाक़ात की बात ग़ज़ल |

मेरे यदि नग्मात ग़ज़ल,
तेरी हर आवाज़ ग़ज़ल |

तेरे दर का फूल ग़ज़ल,
पात पात हर पात ग़ज़ल |

हमें भुलादो बने ग़ज़ल,
यादों की बरात ग़ज़ल |

तू हंसदे होजाय  ग़ज़ल,
अश्क अश्क हर अश्क ग़ज़ल |

तेरी शह की बात ग़ज़ल,
मुझको तेरी मात ग़ज़ल |

तू हारे तो क़यामत हो,
तेरी जीत की बात ग़ज़ल |

हंस देख कर शरमाये,
चाल तेरी क्या बात ग़ज़ल |

मेरी बात पे मुस्काना,
तेरे ये ज़ज्बात ग़ज़ल |

इठलाकर लट खुल जाना ,
तेरा  हर अंदाज़ ग़ज़ल |

तेरी ग़ज़लों पर मरते ,
कैसी सुन्दर घात ग़ज़ल |

श्याम' सुहानी ग़ज़लों पर ,
तुझको देती दाद ग़ज़ल ||

7 टिप्‍पणियां:

  1. वाह क्या बात है । लाजवाब " रचना है ।
    Seetamni. blogspot. in

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (17-09-2016) को "अब ख़ुशी से खिलखिलाना आ गया है" (चर्चा अंक-2468) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  3. तेरे दिन और रात ग़ज़ल,
    तेरी तो हर बात ग़ज़ल

    जवाब देंहटाएं