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शनिवार, 27 जून 2015

वो लड़की- रौद दी जाती है अस्मत जिसकी


 वो लड़की
रौंद दी जाती है  अस्मत जिसकी  ,
करती है नफरत
अपने ही वजूद से
जिंदगी हो जाती है बदतर उसकी
मौत से .

 वो लड़की
रौद दी जाती है अस्मत जिसकी ,
घिन्न आती है उसे
अपने ही जिस्म से ,
नहीं चाहती करना
अपनों का सामना ,
वहशियत की शिकार
बनकर लाचार
घबरा जाती है हल्की सी
आहट से .

 वो लड़की
रौद दी जाती है अस्मत जिसकी
समझा नहीं पाती खुद को ,
संभल नहीं पाती
उबर नहीं पाती हादसे से ,
चीत्कार करती है उसकी आत्मा
चीथड़े -चीथड़े उड़ गए हो
जिसकी गरिमा के
जिए तो जिए कैसे ?

 वो लड़की
 रौद दी जाती है अस्मत जिसकी
घर  से बहार निकलना
उसके लिए है मुश्किल
अब सबकी नज़रे
वस्त्रों में ढके उसके जिस्म पर
आकर जाती है टिक ,
समाज की कटारी नज़र
चीरने लगती है उसके पहने हुए वस्त्रों को ,
वो महसूस करती है खुद को
पूर्ण नग्न ,
छुटकारा नहीं मिलता उसे
म्रत्युपर्यन्त   इस मानसिक दुराचार से .
वो लड़की
रौद दी जाती है अस्मत जिसकी ........

                               शिखा कौशिक 'नूतन '





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