लघु कथा -कैसा विरोध प्रदर्शन |
शहर में हुए छोटी बच्ची के साथ बलात्कार के विरोध-प्रदर्शन हेतु विपक्षी पार्टी ने पाँच-पाँच सौ रूपये में झोपड़-पट्टी में रहने वाले परिवारों की महिलाओं को छह घंटे के लिए किराये पर लिया था . विपक्ष के पार्टी कार्यालय से पार्टी द्वारा वितरित वस्त्र धारण कर व् हाथों में बैनर लेकर , दिए गए नारे लगाते हुए महिलाओं का काफिला सरकार की मुखिया के आवास की ओर बढ़ लिया . तभी उसमे सबसे जोर से नारे लगा रही कार्यकर्ती के मोबाइल की घंटी बजी .उसने सोचा जरूर पांच नंबर के बंगले वाली मोटी का फोन होगा .कह दूँगी आज बच्चा बीमार है कल को आउंगी . पर कॉल घर से थी .उसने रिसीव करते हुए पूछा -''क्यों किया बबली फून ?'' बबली हकलाते हुए बोली -'' मम्मी वो भाई ने हैण्ड पम्प पर पानी भरने आई सुमन का दुपट्टा खीचकर खुलेआम उसके साथ छेड़छाड़ कर दी .बहुत पब्लिक इकट्ठी हो गयी है .भाई बहुत पिटेगा आज ! जल्दी आजा मम्मी !'' कार्यकर्ती जोश में बोली -'बबली तू चिंता न कर ...देंखूं कौन हाथ लगावे है मेरे बेटे को ? ससुरी इस सुमन में धरा क्या है ? मैं दस मिनट में पहुँचरी बबली ..तू घबरावे ना !'' ये कहकर कार्यकर्ती काफिले से अलग होकर अपने इलाके की ओर बढ़ चली !
शिखा कौशिक 'नूतन'
शिखा कौशिक 'नूतन'
करनी और कथनी का अंतर ही समस्याओं की जड़ है --सही कथा ..
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