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रविवार, 8 जून 2014

मर्दों ने कब्ज़ा ली कोख

मर्दों ने कब्ज़ा ली  कोख 
आँखें नम
लब खामोश
घुटती  सांसें
दिल  में क्षोभ
उठा रही  
सदियों से औरत
मर्दों की दुनिया
के  बोझ !
......................................  
गाली ,घूसे ,
लात  , तमाचे
सहती औरत
युग-युग से
फंदों पर कहीं
लटकी मिलती ,
दी जाती कहीं
आग में झोंक !
..............................
वहशी बनकर
मर्द लूटता
अस्मत
इस बेचारी की ,
दुनिया केवल
है मर्दों की
कहकर
कब्ज़ा ली
है कोख !

शिखा कौशिक 'नूतन'

6 टिप्‍पणियां:

  1. गाली ,घूसे ,
    लात , तमाचे
    सहती औरत
    युग-युग से
    फंदों पर कहीं
    लटकी मिलती ,
    दी जाती कहीं
    आग में झोंक !
    sach ko bebaki se likha hai aapne .well written .

    जवाब देंहटाएं
  2. गाली ,घूसे ,
    लात , तमाचे
    सहती औरत
    युग-युग से
    फंदों पर कहीं
    लटकी मिलती ,
    दी जाती कहीं
    आग में झोंक !
    sach ko bebaki se likha hai aapne .well written .

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  3. नारी के दर्द को बाखूबी उकेरा है इन पंक्तियों में ...

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