मर्दों ने कब्ज़ा ली कोख |
लब खामोश
घुटती सांसें
दिल में क्षोभ
उठा रही
सदियों से औरत
मर्दों की दुनिया
के बोझ !
......................................
गाली ,घूसे ,
लात , तमाचे
सहती औरत
युग-युग से
फंदों पर कहीं
लटकी मिलती ,
दी जाती कहीं
आग में झोंक !
..............................
वहशी बनकर
मर्द लूटता
अस्मत
इस बेचारी की ,
दुनिया केवल
है मर्दों की
कहकर
कब्ज़ा ली
है कोख !
शिखा कौशिक 'नूतन'
गाली ,घूसे ,
जवाब देंहटाएंलात , तमाचे
सहती औरत
युग-युग से
फंदों पर कहीं
लटकी मिलती ,
दी जाती कहीं
आग में झोंक !
sach ko bebaki se likha hai aapne .well written .
गाली ,घूसे ,
जवाब देंहटाएंलात , तमाचे
सहती औरत
युग-युग से
फंदों पर कहीं
लटकी मिलती ,
दी जाती कहीं
आग में झोंक !
sach ko bebaki se likha hai aapne .well written .
सुन्दर -
जवाब देंहटाएंआभार -
क्या कहा जाये :-(
जवाब देंहटाएंहिंदी साइंस फिक्शन
नारी के दर्द को बाखूबी उकेरा है इन पंक्तियों में ...
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति...
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