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शनिवार, 31 मई 2014

बलात्कार पर शोर मचाने की क्या जरूरत है !!!


रोज़ दस बलात्कार होते हैं हमारे उत्तर प्रदेश में ...इसलिए अगर बदायूं  में दो दलित किशोरियों का बलात्कार करके उन्हें फांसी पर लटका दिया गया तो इसमें इतना शोर मचाने की क्या जरूरत है !कुछ ऐसा रवैय्या है हमारे प्रदेश की सरकार का .ऐसे में किसी भी तबके की महिलाएं हमारे प्रदेश में कितनी सुरक्षित हैं इसे बिना किसी जांच-पड़ताल के समझा जा सकता है .सवाल केवल सरकार का  भी नहीं है ..सवाल है हमारे सामाजिक ढांचें का जिसमे उच्च जाति का मर्द दलित औरत की अस्मत लूटना कोई अपराध  नहीं समझता .जब इतने बड़े अपराध को ये कहकर हवा में उड़ा दिया जाता है कि - ''लड़के हैं गलती हो जाती है '' तब इस वीभत्स अपराध को अंजाम देने वालों का हौसला कितना बढ़ जाता है इसका परिणाम है ऐसी घटनाएँ .सोच किस-किस की पलटी जाये ..सुधारी जाये ? यही बड़ा मुद्दा है .महिला होने की कीमत कब तक चुकानी   होगी उसकी देह को ये कोई महिला नहीं जानती .महिला होना और दलित होना तो मानों पाप की श्रेणी में ही आता है .अब और क्या लिखें   -

लुट रही अस्मत किसी की  जनता  तमाश बीन   है  ;
इंसानियत  की निगाह  में   जुल्म  ये संगीन    है  .
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चैनलों  को  मिल  गयी  एक नयी ब्रेकिंग न्यूज़  ;
स्टूडियों में  जश्न है मौका  बड़ा  रंगीन  है .
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अखबार में  छपी  खबर  पढ़  रहे  सब चाव से ;
पाठक भी  अब ऐसी खबर  पढने  के  शौक़ीन हैं .
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ये हवस की इंतिहा'  है इससे ज्यादा क्या कहें ?
कर न  लें औरत को   नंगा ये मर्द  की तौहीन  है .
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बीहड़  बनी ग़र  हर  जगह  कब  तक  सहेगी  जुल्म  ये ;
कई  और  फूलन  आएँगी  पक्का  मुझे  यकीन  है .

                                शिखा  कौशिक 'नूतन'
                         

मंगलवार, 27 मई 2014

''ना ताई ...इब और ना ...''-लघु कथा

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''ना ताई ...इब और ना ...''-लघु कथा
ताई ने घर में घुसते ही  रो रोकर  हंगामा  खड़ा  कर दिया -''हाय ...हाय ...मेरा बबलू ...दूसरी बार भी लौंडिया ही  जनी  इसकी  बहू  ने ...क्या  भाग  ले  के  आई  यो  बहू  ...हे  भगवन !! ...''.  बबलू अन्दर कमरे से हँसता  हुआ निकलकर आया और आते ही ताई के चरण-स्पर्श किये और आँगन में पड़ी खाट  की ओर इशारा करते बोला -''ताई गम न मान मेरी दोनों बच्चियां ही कुल का नाम रोशन करेंगी .ये बता तुझे कोई तकलीफ तो न हुई सफ़र में ?'' ताई कड़कते हुए बोली -''अरे हट मरे ...मेरी तकलीफ की पूछे है !....तकलीफ तो तेरा  फून  आते ही हो गयी थी .बेटे इब ज्यादा दिन की ना हूँ मैं ...तेरे लाल का मुख देख लूँ बस इसी दिन की आस में जी रही हूँ .....चल इब की बेर ना हुआ अगली बेर जरूर होवेगा  ...हिम्मत न हार .मैंने माई से मन्नत मांगी है .''  बबलू ताई के करीब खाट पर बैठते हुआ बोला  -''ना ताई ...इब और ना ...दूसरा बच्चा भी बड़े ऑपरेशन से जना है तेरी बहू ने .....और तू ही तो बतावे थी कि मेरी माँ भी इसी चक्कर में मेरी बेर चल बसी थी .वो तो तू थी  जिसने मेरी चारो बहनों व् मेरा पालन-पोषण ठीक से कर दिया ....ना ताई ना मैं अपनी बच्चियों को बिन माँ की  न होने दूंगा !'' ये कहकर बबलू अन्दर से आती अपनी तीन वर्षीय बिटिया आस्था को गोद उठाने के लिए बढ़ लिया  और ताई बड़बडाती  रह गयी .
                     शिखा कौशिक 'नूतन '

मंगलवार, 20 मई 2014

सच्चा प्यार

love hate : From love to hate - one step. Concept illustration Illustration
सच्चा प्यार
''कल को इस रिवाल्वर की    छह की छह गोलियां उस धोखेबाज़ लड़की  के  सीने  में    उतार   दूंगा ....मुझसे धोखा  ..मेरे  दिल  से  धोखा  ...मेरे  प्यार  से  धोखा  ...जिसने  उसे  दुनिया  की हर  चीज़  ..हर रिश्ते  से  ज्यादा  चाहा  उससे  धोखा  ...नहीं  बर्दाश्त  करूंगा  ये  धोखा . माँ-पापा तक से बोल  दिया  था  मैंने  कि अगर  शादी  करूंगा तो केवल ''कामना'' से और वो  अपने  पिता के आगे झुक  गयी . क्या  कह रही थी आखिरी  मुलाकात  में ....हां  . ..यही  कि  ' अपने  कारण अपने पिता को मरते नहीं देख सकती ' ये सब उसने  तब  क्यूँ नहीं सोचा  जब वो उससे नज़दीकियां बढ़ा रही थी। मेरे दिल को खिलौना बनाकर खेलती रही और अब शादी किसी और से...............नहीं .....................उसे भी नहीं छोड़ूंगा जो मेरी कामना को मुझसे अलग करने की कोशिश करेगा ...............सब को निपटा दूंगा ......कामना का पिता  हो या उसका होने वाला दूल्हा या फिर कामना '' बाईस वर्षीय पुष्पक ने ये कहते-कहते बायीं हथेली की उँगलियाँ कसते हुए मुट्ठी बनाई और सामने रखी मेज पर दे मारी। दायें हाथ में पकड़ी हुई रिवाल्वर को फिर से खूनी इरादों के साथ  देखा और  अपने बैड के गद्दे के नीचे छिपा दिया . रविवार का दिन था और दीवार घडी  में दोपहर के दो बज  रहे  थे  .खौलते दिल को पुष्पक ने  शांत किया और सामान्य भाव चेहरे पर लाकर अपने कमरे  के किवाड़ खोलकर बाहर  निकला .निकलते हीउसने पाया कि  उसकी सोलह वर्षीय बहन टीना किवाड़ों के पास रखे गमले की निराई-गुड़ाई में लगी हुई है .पुष्पक झूठी मुस्कराहट के साथ मीठी जुबान में बोला -'' अरे यहाँ क्या  कर रही  है तू  .....माँ  के साथ रसोई के काम में हाथ  बटाया  कर .'' टीना प्रतिउत्तर में मुस्कुराते हुए बोली -'' जी भैय्या ''  पुष्पक को तसल्ली  हुई कि टीना उसके चेहरे के बनावटी भावों को पहचान नहीं पाई  .पुष्पक के वहां से एक कदम आगे बढ़ाते ही टीना चहकती हुई बोली -''भैय्या आपका कमरा साफ कर दूँ ...बहुत बिखरा-बिखरा सा पड़ा है ..बैड की चद्दर भी बदल दूँगी ...बहुत गन्दी लग रही है ..'' टीना के ये कहते ही पुष्पक हड़बड़ा गया पर खुद को संभालते हुए बोला -'' नहीं ..आज रहने दे ..जा ..जाकर माँ का हाथ बंटा या फिर पढ़ाई कर और माँ व् पापा मेरे बारे में पूछें तो कह देना मैं विवेक के यहाँ जा रहा हूँ  .'' ये कहकर वो तेज़ी से में गेट की ओर  बढ़ा ही था कि पीछे से पापा की  कड़कती आवाज़ सुनकर उसके पैर  ठिठक गए .पीछे मुड़कर देखा तो पापा हाथ में उसका ही रिवाल्वर उसकी ओर ताने खड़े थे .पुष्पक के होश उड़ गए .एकाएक हज़ारों प्रश्न उसके दिमाग में तूफ़ान की रफ़्तार से दौड़ने लगे -''पापा के पास मेरा रिवॉल्वर कैसे आया ? किसने बताया पापा को मेरे इरादों के बारे में ?..तो क्या टीना मेरी जासूसी कर रही थी ?'' ये सोचते सोचते वो खिसियाता  हुआ पापा के करीब पहुँच गया और हकलाता हुआ बोला -'' ये तो रिवॉल्वर है पर आपके पास कैसे ?'' पापा ने पास खड़ी टीना को रिवॉल्वर पकड़ाते हुए पुष्पक के कंधे पर नरमाई से हाथ रखते हुए कहा -'' यही तो मैं पूछना चाहता हूँ बेटा कि एम.बी.ए. के इतने बुद्धिमान छात्र के बैड के गद्दे के नीचे ये लोडेड रिवॉल्वर कैसे,  क्यों और कहाँ से आया ?'' पुष्पक पसीना-पसीना होते हुए बोला- ''पापा ..प्लीज़ फॉरगिव मी   ....आई हैव डन  बिग मिस्टेक  .'' ये कहते-कहते वो पापा के चरणों में गिर पड़ा .पापा ने उसे प्यार से उठाते हुए कहा गले से लगा लिया और रुद्ध  गले से बोले  -'' देख  किंचन   की चौखट  पर खड़ी तेरी माँ रोये  जा रही है ..पहले उससे जाकर माफ़ी  मांग  .'' पुष्पक दौड़कर  माँ के पास पहुंचा  और उससे लिपट  कर रोने लगा .माँ ने उसका चेहरा  हथेलियों में भरते हुए प्यार से कहा -''नहीं बेटा ऐसे काम नहीं करते ...तू तो एक तितली तक को पकड़ना पाप मानता है फिर किसी  लड़की को गोली मारने की बात कैसे सोच ली ...चल अब चुप हो जा ..रो मत ..भगवान ने सब समय से ठीक  कर दिया .'' ये कहते हुए माँ ने अपने आँचल  से उसके चेहरे पर आये आंसुओं को पोंछ दिया .पापा व् टीना भी वहीँ आ पहुंचे .पापा बोले -'' पुष्पक जाओ फ्रेश होकर आओ ..दीपक आता ही होगा .'' पुष्पक चौंकता हुआ बोला-''दीपक !!!'' पापा उसकी जिज्ञासा शांत करते हुए बोले- ''हां ! दीपक ...वही दीपक जिसके गाल पर जोरदार तमाचा मारकर तुमने कॉलेज कैंटीन  में दोस्तों के सामने अपमानित किया था   ..नो मोर क्वेश्चन प्लीज़ .'' पापा के ये कहते ही पुष्पक वहां से फ्रेश होने चला गया और जब फ्रेश होकर ड्राइंग रूम में आया तब दीपक को सोफे पर पापा के पास विराजे पाया .पुष्पक को देखते ही दीपक सोफे से खड़ा होते हुए बोला -'' हैलो पुष्पक ..कैसे हो ?'' पुष्पक अपने पूर्व में किये गए दुर्व्यवहार पर लज्जित होते हुए बोला-'' सॉरी दीपक ..उस दिन की अपनी बदतमीज़ी के लिए माफ़ी मांगता हूँ ..सच में शर्मिंदा हूँ मैं !''
दीपक ने आगे बढ़कर उसे गले लगा लिया और सोफे पर अपने ही पास बैठाते हुए बोला -'' इट्स ओ.के.  ..दोस्ती-यारी में सब चलता है .'' दीपक की इस बात पर पापा कुछ  गंभीर  होते हुए बोले -'' नहीं बेटा तुमने सच्ची मित्रता निभाई है और एक उज्जवल भविष्य वाले छात्र को हत्यारा बनने से बचाया है .यदि तुम हमें पुष्पक की मनोस्थिति की सूचना न देते तो कल मेरा बेटा हत्यारा बन जाता जबकि मैं जानता हूँ कि वो ऐसा केवल भावावेश में करता .'' पुष्पक पापा की  बात पर हैरान होता हुआ बोला -'' क्या दीपक ने रिवॉल्वर के बारे में आपको बताया ....पर इसे कैसे पता चला ..मेरी  तो इससे उस दिन के बाद से ही बोल- चाल  बंद है ..'' पापा ने  पुष्पक  की ओर देखते हुए कहा -'' जिस दिन तुमने कॉलेज कैंटीन में दीपक के ये सुझाव देने पर कि ''कामना को भूल जा '' के जवाब में उसके गाल पर तमाचा रसीद किया था उस दिन से ही दीपक का दिमाग तुम्हारा जूनून  देखकर ठनक गया था कि तुम कोई न कोई गलत कदम जरूर उठोगे .गन -हाउस वाले विवेक से तुम्हारा मित्रता बढ़ाना ,तुम्हारा क्लासेस बैंक करना सब दीपक नोट कर रहा था .कुछ दिन पहले जब कामना ने दीपक को अपनी  शादी के फंक्शन हेतु इन्वाइट किया तब दीपक ने मेरे ऑफिस आकर मुझे तुम्हारी मनोस्थिति से अवगत  कराया  .मैंने टीना को तुम्हारी जासूसी पर लगाया और तुम एक अपराधी बनते-बनते रह गए .बेटा ये ठीक है कि  तुम  कामना से बहुत प्यार करते हो पर कई बार परिस्थितियां ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ी कर देती हैं कि व्यक्ति जिसे चाहता है वो उसे नहीं मिल पाता  .ऐसे में व्यक्ति को धीरज से काम लेना चाहिए और जिसे वो दुनिया कि हर चीज़..हर रिश्ते से ज्यादा अहमियत देता आया है .उसे मिटाने  नहीं उसके खुशहाल जीवन की कामना करनी चाहिए .हो सकता है कामना को तुमसे भी ज्यादा प्यार करने वाला जीवन-साथी मिल रहा हो .तुम भी तो उसे जीवन भर खुश रखने की कसमें  खाते  आये होगे फिर कैसे इतना प्रतिशोध तुम्हारे दिल में भभक उठा !मैं मानता हूँ कि इन हालातों को सहना सरल नहीं पर बेटा यदि तुम जिससे प्यार करते हो उसके लिए इतना सा त्याग भी नहीं कर सकते तब माफ़ करना ये कहना पड़ेगा कि तुम्हारा प्यार सच्चा प्यार नहीं है .प्यार यदि दैहिक-मिलन में ही होता तो शायद इतना पवित्र भाव न कहलाता .ये तो आत्मिक भाव है जो मानव को भगवान बना देता है !'' पुष्पक की  आँखें भर आई .उसने दीपक का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा-'' यार तूने मेरी ज़िंदगी पर...नहीं नहीं आत्मा पर  लगने वाले कलंक से मुझे बचा लिया .कल जब तू कामना के विवाह-समारोह में शामिल हो तब एक बुके मेरी ओर से भी उसे भेंट करना और कहना कि मैं केवल उसे खुश देखना चाहता हूँ .'' पुष्पक के ये कहते ही टीना नम आँखों के साथ चहकती हुई बोली -''दैट्स लाइक माई ब्रदर ...आई प्राउड ऑफ  यू भैय्या !'' पुष्पक भी मुस्कुरा दिया .अब पुष्पक के ह्रदय में धधक रही प्रतिशोध  की  ज्वालायें शांत हो चुकी थी और वहां त्याग की ठंडी फुहारें बरस रही थी .

शिखा कौशिक 'नूतन' 

गर्भवती महिला योेग में क्या कर सकती है जिससे स्वयं भी स्वस्थ रहे और बच्चा भी स्वस्थ पैदा हो?


                                                
गर्भवती महिला योेग में क्या कर सकती है जिससे स्वयं  भी स्वस्थ रहे और बच्चा भी स्वस्थ पैदा हो?

  
एक महिला जब पहली बार गर्भवती होती है तो उसके मन में खुशी के साथ , कई तरह के भय  और शकाये भी जन्म लेती है।एक महिला गर्भावस्था में भी योग कर सकती है। योग करने से अनचाहे ंतनाव से छुटकारा पा सकती हैे।
                                

 भस्त्रिका प्राणायाम बहुत धीमी गति से करना चाहिये।  कपालभांति और बाह्ा प्राणायाम और अग्निसार वर्जित है।यदि थाॅयरायड है तो उज्जायी प्राणायाम करे,थाॅयरायाड का प्रेशर पाॅइट दबाए।अनुलोम-विलोम बहुत ही अच्छा प्राणायाम है।इससे बच्चे को पूर्णरूपेण आॅक्सीजन मिलेगी। आप तनाव से मुक्त रहेगे।गर्भावस्थाकाल में यदि बुखार रहता है तो गिलोय धनवटी लेना चाहिये। े।गर्भावस्था में रक्तस्त्राव होने पर शीशम के पते का रस ले तुरत फायदा होेेगा।भ्रामरी, उद्गीत ,प्रणव ध्यान व गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए । सुक्ष्म व्यायाम व कुछ सरल आसन भी कर सकती है ं।इससे प्राकृतिक रूप से प्रसव हो जाता है,सिजेरियन की संभावना नहीं रहती है ।ध्यान से मन का डर व तनाव दुर होता है।शरीर लचीला रहता है जिससे नार्मन व सहज डिलीवरी होती है,आत्मविशवास बढता है व सकारात्मक विचार आते है जिस का बच्चे पर अच्छा असर पडता  है न ज्यादा दवाईया लेनी  पडती है,न ही कोई परेशानी होती है।  इस तरह खुद भी स्वस्थ रहेगी व स्वस्थ बच्चे को जन्म देगी।        
                                                                                        श्रीमति भुवनेष्वरी मालोत
                                                                                          जिला-संयोजिका
                                                                                          महिला पंतजलि योग समिति
                                                                                            बाॅसवाडा  (राज.)


                                 

रविवार, 18 मई 2014

सुसाइड नोट-एक लघु कथा

Suicide -
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सुसाइड नोट-एक लघु कथा 



'' विप्लव हमें शादी कर लेनी चाहिए ..'' सुमन ने विप्लव के कंधें पर हाथ रखते हुए कहा .विप्लव झुंझलाते हुए बोला -'' ..अरे यार .. तुम यही बात लेकर बैठ जाती हो ...कर लेंगें ''  सुमन उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और अपने बैग से टिफिन निकालते हुए विप्लव से बोली -'' ...ओ.के.  ...मैं तो यूँ ही ...बस घबरा जाती हूँ ...इसीलिए कह रही थी कहीं हमारे शारीरिक संबंधों का पता घरवालों को न हो जाये ....लो ये गाज़र का हलवा खाओ  .''  टिफिन का ढक्कन खोलकर विप्लव की ओर बढ़ा दिया सुमन ने .विप्लव भी सामान्य होता हुआ बोला -''...अब देखो  कोई जबरदस्ती तो की नहीं मैंने तुमसे .तुम्हारी सहमति से ही तो हमने संबंध बनाये हैं .तुम घबराती क्यों हो ?'' यह कहते हुए विप्लव ने हलवा खाना शुरू कर दिया .अभी आधा टिफिन ही खाली कर पाया था की विप्लव का सिर चकराने लगा और मुंह से झाग निकलने लगे .शहर से बाहर खेत के बीच में विप्लव का तड़पना चिल्लाना केवल सुमन ही सुन सकती थी .विप्लव ने सुमन की गर्दन अपने पंजें से जकड़ते हुए कहा -'' साली ...हरामजादी ....मुझसे धोखा ....जहर मिलाकर लाई थी हलवे में !''ये कहते कहते उसकी पकड़ ढीली पड़ने लगी .सुमन ने जोरदार ठहाका लगाया और फिर दाँत भींचते हुए बोली -''...कुत्ते जबरदस्ती नहीं की तूने ....हरामजादे धोखा मैंने दिया है तूझे ...प्यार का नाटक कर शादी के ख्वाब दिखाकर नोंचता रहा मेरे बदन को और अब कहता है यही बात लेकर बैठ जाती है ...कमीने मेरी छोटी बहन को भी हवस का शिकार बनाना चाहता था तू ....उसने बताया कल उसे अकेले में पकड़ लिया था तूने ...सूअर अब तू जिंदा रहने लायक नहीं है ..न जाने क्या क्या कुकर्म करेगा तू ..जा और पाप करने से बचा लिया तुझे ..''  सुमन ने देखा विप्लव अब ठंडा  पड़ने लगा था .सुमन ने टिफिन में बचा हलवा खाना शुरू कर दिया .हलवा खाते  खाते  उसने बैग से एक  कागज  निकाला  और अपनी बांयी हथेली में कसकर पकड़ लिया ..............अगले दिन अख़बार में खबर छपी -''ऑनर किलिग़ के डर से एक प्रेमी युगल ने आत्महत्या कर ली .प्रेमिका के पास से मिला सुसाइड नोट ''

शिखा कौशिक  'नूतन  '

गुरुवार, 15 मई 2014

पर्दे में घुटती औरत !

पर्दे में घुटती औरत !
पर्दे में रहते हुए
वो घुट रही है ,
मर रहे हैं उसके
चिंतनशील अंतर्मन
 के विचार,
 और सिमट रहे हैं
अभिलाषाओं के फूल ,
जो कभी खिले थे
ह्रदय के उपवन में ,
कि दे पाऊँगी
इस विश्व को नूतन कुछ
और हो जाउंगी
मरकर भी अमर !!

शिखा कौशिक 'नूतन'

रविवार, 11 मई 2014

मैं तेजाब नहीं गुलाब लाया हूँ -SHORT STORY

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मैं तेजाब नहीं गुलाब लाया हूँ -SHORT STORY
रानी  देख  सूरज  हाथ  पीछे  बांधे  हमारी  ही  ओर  बढ़ा  चला  आ  रहा  है  .तूने  उसके  साथ  प्यार  का  नाटक  कर  उसकी   भावनाओं  का  मजाक  उड़ाया  है  .कहीं  उसके  हाथ  में  एसिड  न  हो  .तुझे  क्या  जरूरत  थी  इस  तरह पहले  मीठी  बातें  कर  उसके  दिए  उपहार  स्वीकार  करने  की और  फिर  उससे ज्यादा अमीर वैभव   के  कारण   उसे  दुत्कारने की मैं तो जाती हूँ यहाँ से जो तूने किया है तू भुगत .' ये कहकर गुलिस्ता वहाँ से चली गयी .रानी के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी .सूरज के पास आते ही उसके पैरों में गिरकर गिडगिड़ाने लगी -'' सूरज ...मुझे माफ़ कर दो ...मैंने तुम्हारे  प्यार का मजाक उड़ाया है ...पर ..पर मुझ पर एसिड डालकर  मुझे झुलसाना नहीं .....प्लीज़ !!'' ये कहते कहते वो रोने लगी .सूरज ने अपने पैर पीछे हटाते हुए ठहाका लगाया .वो भावुक होता हुआ बोला -'' मिस रानी ऊपर देखिये ....मैं तेजाब नहीं गुलाब लाया हूँ ..आपको अंतिम भेंट देने के लिए और शुक्रिया ऊपर वाले का जिसने आप जैसी मक्कार लड़की से मुझे बचा लिया .यहाँ से जाकर मंदिर में प्रसाद भी चढ़ाना है ..लीजिये जल्दी से ये गुलाब थाम लीजिये .''  सूरज की बात सुनकर रानी के दम में दम आया और उसने शर्मिंदा होते हुए उठकर वो गुलाब थाम लिया .

शिखा कौशिक 'नूतन '

शनिवार, 10 मई 2014

औलाद जो सदा माँ के करीब है

सबसे   खुशनसीब

औलाद जो सदा माँ के करीब  है ;
सारी दुनिया में वो ही खुशनसीब  है .
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जिसको परवाह नहीं माँ के सुकून की ;
शैतान का वो बंदा खुद अपना रकीब है .
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दौलतें माँ की दुआओं की नहीं सहेजता 
इंसान ज़माने में वो सबसे गरीब है .
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जो लबों पे माँ के मुस्कान सजा दे 
दिन रात उस बन्दे के दिल में मनती ईद है .
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माँ जो खफा कभी हुई गम-ए -बीमार हो गए ;
माँ की दुआ की हर दवा इसमें मुफीद है .
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है शुक्र उस खुदा का जिसने बनाई माँ !
मुबारक हरेक लम्हा जब उसकी होती दीद है .
   
                         शिखा कौशिक 





शुक्रवार, 9 मई 2014

सच्ची लक्ष्मी

साहिल ने तनु को आवाज लगाकर कहा-”तनु कहाँ रह गयी तुम? हमेशा तुम्हारी वजह से लक्ष्मी पूजन में देरी होती है. साहिल के बोलने क़ा लहजा इतना सख्त  था कि  तनु की आँखों में आंसू आ गए.ये देखकर साहिल की माताजी ने साहिल को डाँटते  हुए कहा ”साहिल मैंने तो तुझे सदा स्त्री क़ा सम्मान करना सिखाया था फिर तू इतना कैसे बिगड़ गया? अरे! पहले घर की लक्ष्मी क़ा तो सम्मान कर तभी  तो तेरी  पूजा से लक्ष्मी देवी प्रसन्न  होंगी .” साहिल को अपनी गलती क़ा अहसास हुआ और उसने तनु की ओर मुस्कुराते हुए कहा ”गृहलक्ष्मी जी यहाँ आ जाइये  हमें  आपसे माफ़ी भी मांगनी है और आपकी पूजा भी करनी है”. साहिल की बात सुनकर माता जी और तनु दोनों हस पड़ी.

शिखा कौशिक ‘नूतन ‘

मंगलवार, 6 मई 2014

बहन का सवाल ! -एक लघु कथा

बहन  का  सवाल ! -एक लघु कथा

रजत ने गुस्से  में तमतमाते हुए घर में घुसते ही आवाज  लगाईं  -मम्मी 'सारा' कहाँ है ? मम्मी थोडा घबराई   हुई किचन से बाहर आते हुए बोली -''...............क्या हुआ  रजत ?.....चिल्ला क्यों रहा है ........सारा तो अपने कमरे में है .तुम दोनों भाई-बहन में क्या चलता रहता है भगवान ही जानें ! उसके पैर में मोच है सचिन अपनी बाइक पर छोड़कर गया है कॉलेज से यहाँ घर ....'' रजत मम्मी की बात अनसुनी करते हुए सारा के कमरे की ओर बढ लिया .सारा पलंग पर बैठी हुई अपने पैर को सहला रही थी .रजत ने कमरे में घुसते ही कड़क वाणी में कहा -''.....सारा कितनी बार मना किया है कि किसी  भी लड़के की बाइक पर मत बैठा करो !तुम मुझे कॉल कर देती मैं आ जाता तुम्हे लेने .....मेरा कॉलिज दूर ही कितना है तुम्हारे कॉलिज से !आज के बाद यदि तुम्हे किसी लड़के की बाइक पर पीछे बैठा देखा तो अच्छा न होगा !...''यह कहकर आँख दिखाता हुआ रजत सारा के कमरे से चला गया .सारा के गले में एक बात अटकी ही रह गयी -''....भैया केवल आपने ही नहीं देखा था मुझे .....मैंने भी देखा था आपको सागरिका को आपकी  बाइक पर पीछे बैठाकर जाते हुए .मैंने जानबूझकर    नज़र चुरा ली थी ....मै आपको डिस्टर्ब नहीं करना चाहती   थी ......पर जब  आप अपनी बहन का  किसी और लड़के की बाइक पर बैठना पसंद  नहीं करते फिर किसी और की बहन को क्यों बैठा लेते हैं अपनी बाइक पर ?........केवल इसलिए की आप लड़के हो .....आप जो चाहो करो ....सब सही है !''
                                          शिखा कौशिक
                http://bhartiynari.blogspot.com/