है इज़ाजत तुम्हें पंख लगा उड़ने की ,
मगर कोशिश न करना मुझसे ऊँचा उड़ने !
......................................................
है इज़ाजत तुम्हें जज़्बात बयां करने की ,
मगर हिम्मत न करना राज़ बयां करने की !
........................................................
है इज़ाजत तुम्हें सजने और संवारने की ,
मगर चाहत न रखना बेपर्दा फिरने की !
.......................................................
है इज़ाजत तुम्हें मुझसे बात करने की ,
मगर हिमाकत न कभी करना बहस करने की !
...................................................
है इज़ाजत 'नूतन' शरीक-ए-हयात बनने की ,
मगर ख्वाहिश न करना मेरा ख़ुदा बनने की !!
शिखा कौशिक 'नूतन'
after a long time you have written over shauhar-begum issue .nice post
जवाब देंहटाएंनारी मन को बखूबी दर्शाया है...अब तो सूरत बदलनी ही चाहिए... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंati sundar ......
जवाब देंहटाएं