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सोमवार, 20 जनवरी 2014

Two follies...दो गलत वक्तव्य ..... डा श्याम गुप्त....

                                वास्तविक ज्ञान की कमी, जीवन-दर्शन, अध्यात्म, मानवीय तत्व व व्यवहार  एवं  जीवन व्यवहार के ज्ञान व अनुभव की कमी   (व्यवसायिक एवं किसी भी विशिष्ट ज्ञान को जानकारी कहा जाता है ज्ञान नहीं ..अध्यात्म में इसको अज्ञान कहा जाता है )  इस प्रकार की  भ्रामक सोच ..विचार एवं  वक्तव्यों (follies)  की जननी व परिचायक होती है और लोग बड़े शान से दे देते हैं ..बिना विचारे......दो उदाहरण देखिये ...

1.--- never feel that you are different from men ....निश्चय ही अनुचित, भ्रामक एवं  गलत सोच है....यदि यह सत्य होता तो ईश्वर..प्रकृति...या विकास-प्रक्रिया...जिसे भी आप मानते हों....क्या इतनी मूर्ख होती जो दोनों को पृथक-पृथक बनाती ...प्रजनन के तो अन्य तमाम तरीके हो सकते हैं...होते भी हैं | प्रजनन  से अन्यथा अन्य भी पृथक-पृथक कार्य हैं स्त्री -पुरुष के  ...मिलकर साथ-साथ एवं स्वतंत्र रूप में भी ...| अतः अंतर (different) तो है ही क्या हम इससे आँख मूँद सकते हैं ...नहीं ...


हाँ यह कहना सही होगा कि.......स्वयं को पुरुष से कम न समझें ....एक ही रथ के दो पहिये समझें एक दूसरे को.....  देखिये रचनाकार ने कितना सटीक कहा है----

"नारि पुरुष में अंतर तो है 
सदा रहा है सदा रहेगा |
भेद बना  है भेद  रहेगा ,
भेद भाव व्यवहार नहीं हो |""     ---- शूर्पणखा काव्य-उपन्यास से...


 2.The main thing is to be a good citizen wherever you operate ....  it should have been .....

-----.The main thing is to be a good... citizen..human wherever you operate....जब तक आप अच्छे मानव नहीं  हैं ...आप कुछ भी अच्छे नहीं बन सकते .....अच्छे  नागरिक तो सिर्फ  क़ानून के पालन के लिए भी बन सकते हैं .....जो अधिकाँश लोग करते हैं .....|


5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...

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  2. धन्यवाद ललित..शिखा जी एवं शास्त्री जी....

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  3. अक्सर हम कह देते हैं,बगैर उसकी तर्किक पक्ष को देखे.
    दोनों कथ्य थत्यों के लिये हैं.
    धन्यवाद,कहने-लिखने से पूर्वालोकन करना संगत है.

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  4. धन्यवाद मन के मनके जी.....सही कहा...

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