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रविवार, 19 जनवरी 2014

सीधे गोली मार-लघु कथा

कैंटीन में आमने -सामने बैठे नेहा व् विवेक के चेहरे पर साफ़ नज़र आ रहा था कि दोनों एक दुसरे से बहुत नाराज़ हैं .नेहा ने अपना पर्स खोला और उसमे से ''फ्रेंडशिप बैंड' निकाल कर विवेक की ओर बढ़ाते हुए कहा -'मुझे मालूम नहीं था कि तुम और लड़कियों को भी ये फ्रेंडशिप बैंड देते फिरते हो वरना मैं एक सेंकेंड के लिए भी इसे अपनी कलाई पर नहीं पहनती .'' विवेक ने झट से वो बैंड वापस लेते हुए कहा- ''रहने दो ....रहने दो ..सच क्यूँ नहीं कहती किसी और लड़के से फ्रेंडशिप करना चाहती हो ...राहुल से ना ....जाओ जाओ ..मुझे भी किसी की परवाह नहीं .'' नेहा का गुस्सा विवेक की ये बात सुनकर सातवे आसमान पर पहुँच गया .वो बिफरते हुए बोली --'' परवाह नहीं ....माय फुट ...अपने जैसा समझ रखा है क्या ? लेकिन एक बात मैं सच सच कहे देती हूँ जिस दिन भी मुझसे बदला लेने का दिल करे तो सीधे सामने से आकर गोली मार देना ...तेज़ाब मत फेंकना !'' नेहा की इस बात को सुनते ही विवेक सन्न रह गया और नम आँखों के साथ वहाँ से उठकर चलने लगा .नेहा ने तेजी से खड़े होकर उसका हाथ थामते हुए कहा -''सॉरी...कुछ ज्यादा ही बोल गयी मैं ...यू नो आई एम् मैड ...वैसे वो फ्रेंडशिप बैंड वापस मुझे दे दो ...तुम्हे तो लाखों नेहा मिल जाएँगी पर मुझे मेरी कड़वी बातें सहन करने वाला विवेक नहीं मिलेगा .'' नेहा की इस बात पर विवेक की अधरों पर मुस्कान आ गयी पर दिल में नेहा के ये शब्द काँटों की तरह चुभते ही रहे -'' ... मुझसे बदला लेने का दिल करे तो सीधे सामने से आकर गोली मार देना ...तेज़ाब मत फेंकना !'' सच में कुछ सिरफिरों की करनी का दंड सभी लड़कों को ऐसी बातें सुनकर चुकाना पड़ता है !
शिखा कौशिक 'नूतन'

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