लम्बी जुबान बंद कर सुन कान खोलकर !
औकात में रह औरत सुन कान खोलकर !
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शौहर को कभी अपने यूँ आँख मत दिखाना ,
वो काट देगा गर्दन सुन कान खोलकर !
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उसका कहा करे जा मत सवाल पूछ ,
मालिक वही है तेरा सुन कान खोलकर !
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चौखट के ही भीतर है बेअक्ल तेरी जन्नत ,
ये कह रहा है शौहर सुन कान खोलकर !
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जाओगी कहाँ बेगम जो हमसे की बगावत ,
मर्दों का है ज़माना सुन कान खोलकर !
शिखा कौशिक 'नूतन'
आखिर में एक सार्थक संदेश देना चाहिए था..
जवाब देंहटाएंबैड टेस्ट
---क्या बात है ....महेंद्र जी के लिए पेश है..
जवाब देंहटाएंबोली वो हंसके शौहर,ख्याली पुलाव है ये,
कब तुमसे कम रहे हम,सुन कान खोल कर|
प्रधान मंत्री हो या जनरल हो शौहर ,सब बाहर
जवाब देंहटाएंघर के अन्दर मेरा गुलाम है ,सुन कान खोलकर |
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नारी की त्रासदी............
जवाब देंहटाएं@MAHENDRA JI -I THINK GUPT JI HAS MADE YOUR TASTE GOOD NOW .
जवाब देंहटाएंTHANKS GUPT JI ,KALI PRASAD JI AND ROSH JI
ऐसी स्थिति में बदलाव जरूरी है ...
जवाब देंहटाएंसारे कानून नियम कायदे औरत के लिए ही क्यूं
जवाब देंहटाएंसावन कुमार जी.....वास्तव में तो ये सारे कायदे कानून पुरुष के लिए भी हैं ..पर वे हैं कि पालन ही नहीं करते.... निश्चय ही बदलाव जरूरी है ...
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