भैया मेरे राम जी, फिर भी मैं गुमनाम |
आये भैया दूज पर, बहना करे प्रणाम |
बहना करे प्रणाम, सुता कौशल्या माँ की |
दशरथ पिता प्रणाम, अवध की दिल में झाँकी |
मौसा मौसी गोद, डाल दी रविकर मैया |
पहले थी विकलांग, ठीक अब लेकिन भैया |
प्रबंध-काव्य का लिंक-
सुन्दर सामयिक रचना प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंदीपावली की बहुत बहुत बधाई — शुभकामनाऐं
जवाब देंहटाएंsundar v sarthak prastuti .aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
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