दीप दिवाली के -----
बाढ़हि विद्या बुद्धि धन, मानुष हित अनुरूप |
लक्ष्मी गणपति पूजिए, पावन पर्व महान ,
बाढ़े श्री संमृद्धि सुख, मानव होय सुजान }
जरिवौ सो जरिवौ जरे, जारै जग अंधियार,
जड जंगम जग जगि उठे, होय जगत उजियार |
हिया अंधेरौ मिटि रहै, जागै अंतर जोत ,
हिलि-मिलि दीपक बारिए, सब जग होय उदोत |
जग उजियारा कर सकें, जलें दीप से दीप ,
मन अंधियारा दूर हो, वही दीप है दीप |
अंतर्ज्योति जले प्रखर,होय सत्य आभास ,
ऐसा दीप जले जिया, होवै ब्रह्म प्रकाश |
भाव तत्तु पर एकसौ, याही माखन भाव |
रंग-बिरंगी झलरियाँ, गौखन लुप-झुप होत ,
बिजुरी के जुग में दिखै,कित दीया की जोत |
धूम-धड़ाकौ होत है, गली नगर घर गाम,
रॉकिट-चरखी चलि रहे,जगर-मगर हर ठाम |
जरिबौ सो जरिबौ जरे , जारै जग संताप ,ह
जड़ जंगम जागि कें ,,हरे जगत त्रिय ताप |
सच का दीपक हाथ ले,निर्मल मन से सोच,
यदि सच्चे इंसान की, करना
चाहे खोज |
दीवाली की शुभकामनाए......
जवाब देंहटाएंhappy deepawali
जवाब देंहटाएंशुभ दीपावली !!आशा है कि आप सपरिवार सकुशल होंगे |
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना !!
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
आप सभी को --
दीपावली की शुभकामनायें-
दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट हम-तुम अकेले
सुन्दर प्रस्तुति………
जवाब देंहटाएंकाश
जला पाती एक दीप ऐसा
जो सबका विवेक हो जाता रौशन
और
सार्थकता पा जाता दीपोत्सव
दीपपर्व सभी के लिये मंगलमय हो ……
धन्यवाद सावन कुमार ,काली प्रसाद जी...रविकर,प्रसून जी...शास्त्रीजी...शिखा जी एवं वन्दना जी ....सभी को दीपावली के शुभकामनाएं....
जवाब देंहटाएं---कौन जला पाया है एसा दीप
जो सबका विवेक रोशन कर पाए....
एक वाहे है जो एसा कह-कर पाए....
जो ..
पूर्णमिदं पूर्णमदं ...है...
जवाब देंहटाएंअति सुंदरी दोहावली गुप्ता लाये श्याम ,
दिवाली के नाम।
धन्यवाद शर्माजी....
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