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शुक्रवार, 1 नवंबर 2013

दीप दिवाली के ...डा श्याम गुप्त के दोहे..........






 दीप दिवाली के -----








  लक्ष्मी गणपति पूजिये, पावन पर्व अनूप,
  बाढ़हि विद्या बुद्धि धन, मानुष हित अनुरूप |   

 लक्ष्मी गणपति पूजिए, पावन पर्व महान ,
 बाढ़े श्री संमृद्धि सुख, मानव होय सुजान }

 जरिवौ सो जरिवौ जरे, जारै जग अंधियार,
जड जंगम जग जगि उठे, होय जगत उजियार |  
 
हिया अंधेरौ मिटि रहै,  जागै अंतर जोत ,
 हिलि-मिलि दीपक बारिए, सब जग होय उदोत |     

जग उजियारा कर सकें, जलें दीप से दीप ,
मन अंधियारा दूर हो, वही दीप है दीप |

अंतर्ज्योति जले प्रखर,होय सत्य  आभास ,
ऐसा दीप जले जिया, होवै ब्रह्म प्रकाश |

बहुरि रंग की फुरिझरीं, बरसें धरि बहु भाव,
भाव तत्तु पर एकसौ, याही माखन भाव |

रंग-बिरंगी झलरियाँ, गौखन लुप-झुप होत ,
बिजुरी के जुग में दिखै,कित दीया की जोत |

धूम-धड़ाकौ होत है, गली नगर घर गाम,
रॉकिट-चरखी चलि रहे,जगर-मगर हर ठाम |

जरिबौ  सो जरिबौ जरे , जारै जग संताप ,ह 

जड़ जंगम जागि कें ,,हरे जगत त्रिय ताप |

सच का दीपक हाथ ले,निर्मल मन से सोच,
 यदि सच्चे इंसान की, करना चाहे खोज |

9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ दीपावली !!आशा है कि आप सपरिवार सकुशल होंगे |
    सुन्दर रचना !!

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  2. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार आदरणीय-

    आप सभी को --
    दीपावली की शुभकामनायें-

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  3. सुन्दर प्रस्तुति………

    काश
    जला पाती एक दीप ऐसा
    जो सबका विवेक हो जाता रौशन
    और
    सार्थकता पा जाता दीपोत्सव

    दीपपर्व सभी के लिये मंगलमय हो ……

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  4. धन्यवाद सावन कुमार ,काली प्रसाद जी...रविकर,प्रसून जी...शास्त्रीजी...शिखा जी एवं वन्दना जी ....सभी को दीपावली के शुभकामनाएं....

    ---कौन जला पाया है एसा दीप
    जो सबका विवेक रोशन कर पाए....
    एक वाहे है जो एसा कह-कर पाए....
    जो ..
    पूर्णमिदं पूर्णमदं ...है...

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  5. अति सुंदरी दोहावली गुप्ता लाये श्याम ,

    दिवाली के नाम।

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