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गुरुवार, 24 अक्टूबर 2013
भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता -४[प्रविष्टि -३(रचनाकार -सुश्री शालिनी कौशिक ) ]
दफनाती मुसीबत को ,दमकती दामिनी है .
कोमल देह की मलिका ,ख्वाबों की कामिनी है ,
ख्वाहिश से भरे दिल की ,माधुरी मानिनी है . .............................................................. नज़रें जो देती उसको ,हैं मान महनीय का , देती है उन्हें आदर ,ऐसी कामायनी है . .......................................................... कायरता भले मर्दों को ,आकर यहाँ जकड़ ले , देती है बढ़के संबल ,साहस की रागिनी है . ................................................................... कायम मिजाज़ रखती ,किस्मत से नहीं रूकती , दफनाती मुसीबत को ,दमकती दामिनी है . .................................................................... जीवन के हर सफ़र में ,चलती है संग-संग में , गागर में भरती सागर ,ये दिल से ''शालिनी'' है . ............................................................................ शब्दार्थ -महनीय-पूजनीय /मान्य ,कामायनी -श्रृद्धा ,कायम मिजाज़ -स्थिर चित्त ,शालिनी -गृहस्वामिनी .
excellent post .thanks
जवाब देंहटाएंछोटी कविता लेकिन - अच्छी कविता.....आभार
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