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बुधवार, 23 अक्टूबर 2013

दिल ऐसे ही तोडा जाता है -लघु कथा


'' बेटा ... ...मेरी तबियत ठीक नहीं है ...तुम प्रिया से मिलने कल चले जाना ...तुम्हारे पापा भी शहर में नहीं है !'' स्मिता ने अपने युवा पुत्र प्रतीक को तैयार होकर बाइक की चाबी उठाते देखकर कहा तो प्रतीक झुंझलाते हुए बोला -'' ओह हो मॉम ..मैं कोई डॉक्टर थोड़े ही हूँ .ये रही फोनबुक इसमें डॉक्टर साहब का नंबर है .तबीयत ज्यादा ख़राब लगे तो फोन करके उन्हें बुला लेना और कामवाली बाई आती ही होगी उससे करवा लेना तीमारदारी ....ओ.के. मॉम .'' ये कहकर प्रतीक ने फोनबुक माँ की ओर उछाल दी और बाइक की चाबी उठाकर फुर्र हो लिया .बाइक को शहर की सड़कों पर लहराते हुए वो एक घंटे में मुलाकात के लिए तय रेस्टोरेंट पर पहुंचा तो प्रिया को वहां इंतजार न करते पाकर उसने प्रिया के मोबाइल पर कॉल की .प्रिया के कॉल रिसीव करते ही प्रतीक बड़े स्टाइल में बोला -'' स्वीट हार्ट व्हाई डिड यु ब्रेक माय हार्ट ...तुमने मेरा दिल क्यों तोडा ?'' प्रिया व्यंग्यमयी स्वर में बोली -'' प्रतीक जी जो बेटा अपनी बीमार माँ का दिल तोड़कर अपनी गर्ल फ्रेंड से मिलने जाता है उसका दिल ऐसे ही तोडा जाता है .आप जल्दी घर आ जाये ....मैं आपके ही घर पर .आपकी मॉम ने मुझे फोन कर बुलाया था ...माँ की तबीयत ठीक नहीं है .डॉक्टर साहब को बुलाकर मैंने चेकअप करवा लिया है और दवाई दे दी हैं .अब आप तीमारदारी के लिए उपस्थित हो जाये क्योंकि आपकी कामवाली बाई भी सबका दिल तोड़कर आज काम पर नहीं आई है .काश आप समझ पाते कि माँ से बढ़कर इस दुनिया में कोई नहीं होता !''
शिखा कौशिक 'नूतन

11 टिप्‍पणियां:

  1. सशक्त सन्देश परक लघु कथा छोटा कलेवर बड़ा सा दिल लिए।

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  2. बहुत अच्छी है दिल जोड़ने की यह रवायत |
    बहुत अच्छी है दिल तोड़ने की यह कवायद |

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  3. कहानी की लंबाई कभी यह तय नहीं करती की कहानी कितनी बडी हैं । यह तो लेखक की कलम तय करती हैें कहानी हमें कहां तक ले जाती हैं ...... शिखा जी को इस सुंदर रचना के लिए .... आभार

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