एक बहन मिल गयी -लघु कथा do not copy |
रोहित ,प्रभात और चिराग कोचिंग से लौट रहे थे .प्रभात की नज़र तभी सुनसान पड़ें खाली प्लॉट में चार लड़कों से घिरी मदद के लिए पुकारती लड़की पर गयी .प्रभात ने अपना बैग कंधें से उतार कर सड़क पर फेंका और ''मेरी बहन को छोड़ दो कमीनों '' कहता हुआ उसी दिशा में दौड़ पड़ा .रोहित और चिराग प्रभात की बात सुनकर अपना बैग वहीँ फेंककर उसके पीछे दौड़ पड़े .तीन लड़कों को गुस्से में दौड़कर अपनी ओर आते देख वे चारों लडकें लड़की को छोड़कर भाग लिए .उनमे से केवल एक ही को प्रभात पकड़ पाया और फिर वही पहुंचे रोहित व् चिराग ने उसकी जमकर लतों-घूसों से खातिरदारी कर दी .वो भी किसी तरह खुद को छुड़ाकर भाग निकला .प्रभात को उस पीड़ित लड़की से उसका नाम-पता पूछते देखकर चिराग ने प्रभात से पूछा -''अबे तू तो ये कहकर भागा था मेरी बहन को छोड़ दो ...ये तेरी बहन नहीं है ...यूँ ही अपने साथ हमारी जान भी दांव पर लगा दी !!'' प्रभात मुस्कुराता हुआ बोला -'' मैं ऐसा न करता तो सालों तुम बहाना बनाकर निकल लेते और हम भाइयों के होते एक बहन की अस्मत लुट चुकी होती .'' रोहित प्रभात की बात सुन मुस्कुराता हुआ बोला -'' कुछ भी कहो ..मुझे भगवान ने कोई बहन नहीं दी थी आज प्रभात के कारण एक बहन मिल गयी .'' रोहित की बात सुनकर प्रभात ने उसे गले लगा लिया और पीड़ित लड़की की आँखे भर आई .
शिखा कौशिक 'नूतन'
अच्छी कहानी
जवाब देंहटाएंgahri laghu katha
जवाब देंहटाएंrachana
अच्छी कहानी
जवाब देंहटाएंसमय मिले तो मेरे ब्लाग को देखिए
आज ही बनाया है..
वाक् पटुता-
जवाब देंहटाएंसच्चा हृदय--
आभार
Sachchi hai to Bahut achchhi hai
जवाब देंहटाएंaap sabhi ka hardik aabhar
जवाब देंहटाएंआँखे भर आयीं ...
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