दुर्गा पर भारी पड़े, शुतुरमुर्ग के अंड |
भस्मासुर को दे सकी, आज नहीं वह दंड |
भस्मासुर को दे सकी, आज नहीं वह दंड |
आज नहीं वह दंड, नोयडा खाण्डव-वन है |
कौरव का उत्पात, हारते पाण्डव जन हैं |
कौरव का उत्पात, हारते पाण्डव जन हैं |
फिर अंधे धृतराष्ट्र, दुशासन बेढब गुर्गा |
बदल पक्ष अखिलेश, हटाते आय एस दुर्गा-
बदल पक्ष अखिलेश, हटाते आय एस दुर्गा-
(2)
फलता है हर फैसला, फैला कारोबार |
अधिकारी का हौंसला, तोड़े बारम्बार |
तोड़े बारम्बार, शक्ति दुर्गा की तोड़े |
सच्चाई की हार, वोट कुछ दल ने जोड़े |
छलता सत्ता-असुर, सिंह रह गया उछलता |
हुवा फेल अखिलेश, छुपाता सतत विफलता |
der saver hi sahi durga hongi prachand ,
जवाब देंहटाएंdengi dushton ko yahan bahut kathor dand .
sundar v sateek prastuti badhai .
दुर्गा अपराजित है और अपराजित ही रहेगी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना
SARTHAK ABHIVYAKTI AAKROSH KI ....
जवाब देंहटाएंदुर्गा को निबाहने के लिए जो नैतिक बल चाहिये वह असुरों में कहाँ,हराना तो दूर की बात !
जवाब देंहटाएंअखिलेश गलत हैं सारा भारत जानता है । दुर्गा तो दुर्गा है ऐसे शुंभ निशुंभों की क्या बिसात ।
जवाब देंहटाएं"nam sarthak kar diya ho durga ki avtar,shakti tumhari aur badhegi jb hoga atyachar" bir tum badhe chalo
जवाब देंहटाएंबहुत ही सशक्त और प्रभावशाली.
जवाब देंहटाएंरामराम.
satya pareshan ho sakta hai parajit nahi ....
जवाब देंहटाएंवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
दुर्गा जी को शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंजीत उन्हीं की होगी।
saamyik kavita ..
जवाब देंहटाएंimaandaar rachna..
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