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शनिवार, 27 जुलाई 2013

भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता-3 प्रथम प्रविष्टि [नीतू राठौर ]

   मेरा घर 
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Indian_bride : Slim beautiful woman wearing luxurious wedding dress over white studio background
कहते है  घर गृहणी का होता है 
लेकिन यह सच नहीं है 
घर में रहने वालो से पूछो 
घर किसका होता  है .
घर होता है दादा का,पापा का,
बेटे का,और उसके बेटे का 
सदियों से यही चला आ रहा है 
घर ना बेटी का होता है ,न ही बहू  का 
बेटी को तो बचपन से ही सिखाया जाता है 
ये घर तेरा नहीं है 
तुम्हे अभी अपने घर जाना है (ससुराल )
बेटी बेचारी अपने घर के सपने सँजोए 
मन उलझाये ही रहती है 
फिर एक दिन जब वो अपने घर चली जाती है 
अपने - अपनों के जाल में फँसकर 
हर चीज को तरस जाती है 
मन को यही दुविधा सताती है 
पता नहीं इस अपने कहे जाने वाले घर से 
जाने कब निकाली जा सकती है .
वह बेचारी भोली सी,नादान सी,
समझ ही नहीं पाती कि ... घर भी कभी 
किसी औरत का हुआ है जो अब होगा .
घर औरत से बनता है ,सजता है,
औरत ही घर की जननी है 
लेकिन यह बनाना बिगाड़ना पुरूष ही करता है 
क्योकि अपना देश तो पुरूष प्रधान देश है .
यहाँ औरत स्वतन्त्रता के नाम पर 
खुले आसमान के नीचे 
बन्धनों की चाहर -दिवारी से कैद है 
लेकिन फिर भी नकारात्मक सच है 
कि .......घर गृहणी का ही होता हे. 
                           नीतू राठौर 
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7 टिप्‍पणियां:

  1. इस प्रतियोगिता की अच्छी शुरुआत के करने के लिए नीतू राठोर जी को सादर बधाई!
    अच्छा मंच प्रदान किया है अभिव्यक्ति के लिए शिखा जी,आपका बहुत आभार.
    सादर

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति है आपकी,मेरी हार्दिक शुभकामनाएं

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  3. आदरेया आपकी इस सार्थक प्रस्तुति को गति देने का प्रयास करते हुए 'निर्झर टाइम्स' लिंक किया गया है।
    http://nirjhar-times.blogspot.com पर आपका स्वागत् है,कृपया अवलोकन करें।
    सादर

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  4. वाह बहुत सुंदर
    यहाँ भी पधारे

    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_29.html

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  5. सच बयां करती सुंदर प्रस्तुति ।

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