सख्त लहज़े में कहा शौहर ने बीवी से देखो लियाकत में तुम्हे रहना होगा ,
तुम्हारी हद है मेरे मकान की चौखट अब इसी हद में तुम्हे रहना होगा !
मिला ऊँचा रुतबा मर्द को औरत से बात दीनी ही नहीं दुनियावी भी ,
मुझको मालिक खुद को समझना बांदी झुककर मेरे आगे तुम्हे रहना होगा !
है मुझे हक मैं करूं शौक पूरे अपने तुम्हे बस फ़र्ज़ ही निभाने हैं ,
ज़ुल्म न कहना ये ही होता आया इन्ही पाबंदियों में तुम्हे रहना होगा !
नीची आवाज़ में करनी होगी बातें नज़रें झुकाकर सामने आना ,
शरीक-ए-हयात का दर्ज़ा अगर पाना है कुर्बान खुद को करके तुम्हे रहना होगा !
बेग़म मुझे बेपर्दगी से है नफरत ढककर रखना खुद को ज़माने से ,
बिना मेरे वजूद न तेरा जान लो 'नूतन' हकीकत में तुम्हे रहना होगा !
शिखा कौशिक 'नूतन'
bahut sahi bayaan kiya hai aapne samaj mein aurat ki haqiqat ko...par ab dhire dhire badlaaw ki hawa bah rahi hai aur uska swagat hai!
जवाब देंहटाएंक्या बात है
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना
रचना तो अच्छी है ...पर कहाँ आजकल एसा होरहा है लड़किया/ स्त्रियाँ चौखट तो क्या आसमान में पहुँच गयी हैं .....
जवाब देंहटाएंउठ रही है हर घर से अजां धीरे धीरे |
जवाब देंहटाएंये हवा भी बदल जायेगी धीरे धीरे |
अकेले कौन उड़ पाया है आसमां में ऊंचा--
चलेंगे मिलके तो उड़ पायेंगे धीरे धीरे |
वाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएं@मेरी बेटी शाम्भवी का कविता-पाठ
विचारणीय भावनात्मक अभिव्यक्ति .आभार . कुपोषण और आमिर खान -बाँट रहे अधूरा ज्ञान
जवाब देंहटाएंसाथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
आह ! आज भी वही सोच और व्यवस्था
जवाब देंहटाएंलाजवाब | आभार
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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