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गुरुवार, 22 नवंबर 2012

दोयम दर्जे की इन्सान हूँ बहुत खूब बहुत खूब .

 stock photo : Portrait of a cute young woman  Saudi Arabianstock photo : Beautiful brunette portrait with traditionl costume. Indian style

शौहर की मैं गुलाम हूँ  बहुत खूब बहुत खूब ,
दोयम दर्जे की इन्सान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब .


कर  सकूं उनसे बहस बीवी को इतना हक कहाँ !
रखती बंद जुबान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब !


उनकी नज़र में है यही औकात इस नाचीज़ की ,
तफरीह का मैं सामान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब !


रखा छिपाकर दुनिया से मेरी हिफाज़त की सदा ,
मानती अहसान हूँ   बहुत खूब बहुत खूब !


वे पीटकर पुचकारते कितने रहमदिल मर्द हैं !
उन पर ही मैं कुर्बान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब !


'नूतन' ज़माने में नहीं औरत की कीमत रत्ती भर ,
देखकर हैरान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब !


                                              शिखा कौशिक 'नूतन'

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही भावपूर्ण शब्दों में शिखा जी आपने मुस्लिम महिला के दर्द को अभिव्यक्त किया है. आभार कसाब को फाँसी :अफसोसजनक भी और सराहनीय भी.

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  2. बहुत खूब बहुत खूब !

    अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति...
    रूठे हुए शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन

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  3. क्या बात है ....यह भी खूब रही ...

    बहुत खूब बहुत खूब .

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  4. shalini ji ,madan ji ,sushma ji ,manu ji ,anand ji v shyam ji -aap sabhi ka rachna ko sarahne hetu hardik aabhar

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  5. Aisa kyun!! pata nahi, kya aaj bhi hamara samaaj aisa hi hai?? m surprised with such a view in 21st century!

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