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मंगलवार, 2 अक्टूबर 2012

करुण पुकार



रे मैया मेरी छाया भी ना तुझे सुहाती है,
भैया से तो तू तो हरदम लाड़ दिखाती है;
सूखा मुझको देकर मेवा उसे खिलाती है,
मैया मुझसे भी न क्यों तू प्यार जताती है |

क्या गलती ये मेरी कन्या काया पाई हूँ ?
पर मैया मैं भी तो तेरे कोख से आई हूँ;
तू भी तो एक कन्या है क्यों इसे भूलाती है,
मैया मुझसे भी न क्यों तू प्यार जताती है |

दादा-दादी, बापू को तो जरा न भाती मैं,
पर तूने तो जन्मा क्यों फिर याद न आती मैं?
तू खुद ही जाके क्यों न सबको समझाती है?
मैया मुझसे भी न क्यों तू प्यार जताती है |

गर्भ में थी तब ही सबने मुझको मरवाना था,
ईश कृपा थी धरती पर जो मुझको आना था,
भैया जैसे ही प्रकृति मुझको भी बनाती है,
मैया मुझसे भी न क्यों तू प्यार जताती है |

नहीं अलग मैं भैया से हूँ, नहीं हूँ कमतर मैया,
बाला-बाल में भेद नहीं है अब तो मानो मैया;
कुल रोशन कर सकती अवसर क्यों न दिलाती है?
मैया मुझसे भी न क्यों तू प्यार जताती है |

धरती से उस आसमान तक मैं भी तो उड़ सकती माँ,
भैया जो-जो कर सकता है मैं भी तो कर सकती माँ,
क्यों भैया को खुशियाँ देती, मुझे रुलाती है,
मैया मुझसे भी न क्यों तू प्यार जताती है |

खुद तुम समझो मैया और जग को भी तुम बताओ,
दूर करो हर भेद को, सबके मन का मैल मिटाओ,
सब माएं ये समझ के कसम क्यों न खाती है ?
मैया मुझसे भी न क्यों तू प्यार जताती है |

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति बधाई

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  2. खुद तुम समझो मैया और जग को भी तुम बताओ,
    दूर करो हर भेद को, सबके मन का मैल मिटाओ,
    सब माएं ये समझ के कसम क्यों न खाती है ?
    मैया मुझसे भी न क्यों तू प्यार जताती है |
    ----सही कहा ...सुन्दर रचना ..

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  3. बहुत सार्थक और बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती रचना , आभार

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  4. अब न किसी से मा तुम डरना बस थोड़ी सी हिम्मत करना ,आपकी कविता से मुझे अपनी एक कविता याद आई ,स्त्री को ही मजबूत होना होगा इतनी सुंदर रचना के लिए बधाई

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