पेज

सोमवार, 3 सितंबर 2012

रविकर-पत्नी किन्तु, हड़पती कुल कंगालों-

"हास्य नहीं है"
है क्या ??
 
सालों घर को सजा के, सजा भोगती अन्त । 
रक्त-मांस सर्वस्व दे, जो जीवन पर्यंत ।

जो जीवन पर्यंत, उसे वेतन का हिस्सा ।
लाएगी सरकार, नया बिल ताजा किस्सा ।

रविकर-पत्नी किन्तु,  हड़पती कुल कंगालों ।
 कुछ तो करो उपाय,  एक बिल लाना सालों ।।

7 टिप्‍पणियां:

  1. .बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  2. आज का समाचार ||

    कैबिनेट में एक बिल आने वाला है-
    पति के वेतन का एक हिस्सा पत्नी के लिए सुनिश्चित किया जायेगा, ताकि जीवन काल में उसे आर्थिक परेशानी न हो --
    एक स्वागत योग्य कदम ||

    पर रविकर की पत्नी के हाथ तो पूरा वेतन ही लगता है-
    निर्मल हास्य |
    पत्नी की तरफदारी उसके भाई से अच्छा कौन करेगा -
    आभार-
    कुछ परिवर्तन सुझाएँ -
    सादर ||

    जवाब देंहटाएं
  3. .बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. जरूर लायेंगे, मगर वही बिल लायेंगे जिससे इनका स्वार्थ पूरा होगा।

    जवाब देंहटाएं
  5. इनका --से क्या तात्पर्य है ---केबिनेट में तो सारे देश का ही प्रतिनिधित्व है....

    जवाब देंहटाएं