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शनिवार, 28 अप्रैल 2012

इसीलिए तो माँ दिल पर राज़ करती है !




[google से sabhar ]
कभी आंसू नहीं मेरी आँख में आने देती ;
मुझे माँ में खुदा की खुदाई दिखती है .


लगी जो चोट मुझे आह उसकी निकली ;
मेरे इस जिस्म में रूह माँ की ही बसती है .


देखकर खौफ जरा सा भी  मेरी आँखों में ;
मेरी माँ मुझसे दो कदम आगे चलती है .


मेरे चेहरे से मेरे दिल का हाल पढ़ लेती ;
मुझे माँ कुदरत का  एक करिश्मा लगती है .


नहीं कोई भी  माँ से बढ़कर दुनिया में ;
इसीलिए तो माँ दिल पर  राज़ करती  है .


                        शिखा कौशिक  
                       [vikhyat ]







7 टिप्‍पणियां:

  1. माँ के प्यार में निस्वार्थ भाव को समेटती आपकी खुबसूरत रचना....

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  2. वाह!!!!!!!! क्या बात है....

    पूर्ण शब्द मां, पूर्ण ग्रन्थ मां,
    शिशु वाणी का प्रथम शब्द मां।

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  3. नारी ह्रदय की प्यारी सी अनुभूति, वाह.

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