/keZऔर स्वास्थ्य सिक्के के दो पहलू है,धर्म मानव का सच्चा मार्गदर्षक है,नववर्ष का आरभ चैत्र नवरात्री से होता है तब हम सब स्वास्थ्य रहे और बीमार न हो तथा तंदुरस्त बने रहे,यह हमारे लिऐ गर्व की बात है कि नीम के अनगिनत गुणों की वजह से अमेरिका ने हमारे नीम को अपने लिए पेटेन्ट करा दिया,निःसन्देह यह भारतीय जीवन षैली और आयुर्वेद की विजय है,नीम हमारे लिए अति पूॅजनीय वृक्ष है।
नीम को संस्कृत में निम्ब,वनस्पति ष्षब्दावली में आजाडिरिक्ता-इण्डिका कहते है।नीम के बारे में हमारे ग्रन्थों में कहा गया है।
निम्ब षीतों लघुग्राही कटुकोडग्रि वातनुत।
अध्यःश्रमतुट्कास ज्वरारूचिकृमि प्रणतु।।
नीम ष्षीतल,हल्का,ग्राही पाक मे चरपरा,हृदय को प्रिय,अग्नि,वात ,परिश्रम,तृ्रेषा ,ज्वरअरूचि कृमि,व्रण,कफ,वमन कोढ और विभिन्न प्रमेह को न्रेषट करता है।
नीम में कई तरह लाभदायी पदार्थ होते है।रासायनिक तौर पर मार्गोसिन निम्बडीन एवम निम्बेटेरोल प्रमुख है।नीम के सर्वरोगहारी गुणों से यह हर्बल आर्गेनिक पेस्टीसाइड,साबुन,ऐन्टीसेप्टिक क्रीम,दातुन मधुमेह नाषक चूर्ण,ऐन्टीऐलर्जीक,कोस्मेटिक आदि के रूप में प्रयोग होता है।
नीम कडवा है लेकिन इसके गुण मीठे है,तभी तो नीम के बारे मे कहा जाता हैकि सौ हकीम और एक नीम बराबर है।
चैत्र नवरात्री पर नीम के कोमल पतो को पानी में घोलकर सील बट्टों या मिक्सी में पीसकर इसकी लुगदी तैयार की जाती है,इसमें थोडा नमक और कुछ काली मिर्च डालकर उसे ग्राहय बनाया जाता है।इस लुगदी को कपडे में रखकर पानी मे छाना जाता है,छाना हुआ पानी गाढा या पतला कर प्रातः
खाली पेट एक कप से एक गिलास तक सेवन करना चाहिये पूरे नौ दिन इस तरह अनुपात मे लेने से वर्ष भर की स्वास्थ्य गारंटी हो जाती है,सही मायने में चैत्र नवरात्री स्वास्थ्य नवरात्री है,यह रस ऐन्टीसेप्टिक ऐन्टीबेक्टेरियल ऐन्टीवायरल ऐन्टीवर्म ऐन्टीऐलर्जीक ऐन्टीट्यमर आदि गुणो का खजाना है।ऐसे प्राकृतिक सर्वगुण सम्पन्न अनमोल नीम रूपी स्वास्थ्य रस का उपयोग प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिये।यह इन दिनो बच्चों को चेचक से बचायेगा,जीन लोगो को बार बार बुूखार और मलेरिया का संक्रमण होता है,उनके लिए यह रामबाण औषधि है।वैसे तो आप प्रतिदिन पाॅच ताजा नीम की पतियाॅ चबा ले तो अच्छा है,मधुमेह रोगीयो में प्रतिदिन सेवन करने पर रक्त ष्षकर्रा का स्तर कम हो जाता है।
नीम की महता पर एक किवंदती प्रसिद्ध है कि आयुर्वेदाचार्य धन्वतरि एवमृ युनानी हकीम लुकमान समकालिन थे,भारतीय वैघराज की ख्याति उस समय विष्व प्रसिद्ध थी लुकमान हकीम ने उनकी परीक्ष लेने एक व्यक्ति को यह कहकर भेजा कि इमली के पेड के नीचे सोते जाना ,भारत आते आते वह व्यक्ति बीमार पड गया,महर्षि धन्वतरि ने उसे वापस यह कहकर भेज दिया कि रात्री विश्राम नीम के पेड के नीचे करके लौट जाना,वह व्यक्ति पुनः स्वस्थ्य हो गया।
नीम रस कडवा है,लेकिन प्राक्रृतिक पेय है,इस निःषुल्क रस का व्यापक उपयोग जन-साधरण में हो इस हेतु हमें इसकी उपादेयता के बारे में जन मानस को समझाना हेागा नीम जैसे सर्वसुलभ वृक्ष की पतियों के रस के स्टाॅल हमें गली मोहल्लो और काॅलोनियों में लगाने चाहिये ।स्वास्थ्य जागरण में नीम रस जीवनरस बने यही मानवता पर उपकार होगा,आयुर्वेद,धर्म और मानवता की जय होगी तथा रोगों की पराजय होगी तथा पर्यावरण का सही दोहन और संवरण होगा।
प्रे्षकः-
भुवनेष्वरी मालोत
अध्यक्ष
वीरा-विंग
महावीर इंटरनेषनल
महादेव काॅलोनी
बाॅसवाडा
नीम के गुणों का बखान करता बहु -उपयोगी आलेख .लेकिन इसमें वर्तनी की अशुद्धियाँ खाताक्तीं हैं .
जवाब देंहटाएंनीम कडवा है लेकिन इसके गुण मीठे है,तभी तो नीम के बारे मे कहा जाता हैकि सौ हकीम और एक नीम बराबर है।
जवाब देंहटाएंNice.
neem-neem kabhi shahad-shahad,shandar post hae .vaese neem men bhi naritva guna hote haen.
जवाब देंहटाएंकड़वा नीम....बहुत से गुणों से भरपूर होता है!
जवाब देंहटाएंगुणों से भरपूर ||
जवाब देंहटाएंआभार ||
गांव-नगर विकसित हुए,मन में गर्व असीम ।
जवाब देंहटाएंकिन्तु ढूंढते रह गये, दरवाजे का नीम ॥
सुन्दर उपयोगी प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसादर आभार.
कल 27/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
मैं बहुत समर्थन करता रहा हूँ नीम पट्टी के रस के प्रयोग का. आपके इस सार्थक आलेख से बहुत ख़ुशी हुई. आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी देती रचना |
जवाब देंहटाएंआशा