पेज

बुधवार, 18 जनवरी 2012

बदल गए... डा श्याम गुप्त की ग़ज़ल...

ऋतुएँ  बदल गयीं , मौसम  बदल गए ।
कुछ तुम बदल गए, कुछ हम बदल गए।

नयनों में नक्श आज हैं क्यों ये नए नए ।         
क्यों हम बदल गए क्यों तुम बदल गए ।

 हम बढ़ चले थे आपकी राहों में जाने जाँ,
चाहों में हम थे आप क्यों राहें बदल गए ।

तुम को न बदलना था, हम को न बदलना था ,
जब  तुम  बदल गए,  हम  भी  बदल गए ।

यूं बहके जमाने के कदम, उन्नति की राह में ,
रिश्ते   बदल  गए,   नाते  बदल  गए ।

इस दौरे भागम-भाग की क्या दास्ताँ कहें ,
ईमां  बदल  गए ,  इन्सां  बदल  गए ।

बदले हैं अब  तो चाँद तारे ज़मीं आफताब,
क्या श्याम' अब कहें जो हम-तुम बदल गए ।।


4 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति ,..
    kalamdaan.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह!!!!!
    तुम को न बदलना था, हम को न बदलना था ,
    जब तुम बदल गए, हम भी बदल गए ।

    बहुत खूब............

    जवाब देंहटाएं
  3. इस दौरे भागम-भाग की क्या दास्ताँ कहें ,
    ईमां बदल गए , इन्सां बदल गए ।

    sarthak

    जवाब देंहटाएं