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मंगलवार, 10 जनवरी 2012

काहे मुरली श्याम बजाये .......डा श्याम गुप्त का पद......

काहे मुरली श्याम बजाये |
सांझ सवेरे बजे  मुरलिया अति ही रस बरसाए |
रस बरसे मेरा तन मन भीगे अंतरघट सरसाये |
रस भीजै चूल्हे की लकड़ी आग पकड़ नहीं पाए |
फूंक फूंक मेरा जियरा धड़के चूल्हा बुझ बुझ जाए |           
सास  ननद सब ताना मारें, देवर  हंसी  उडाये |,
सजन प्रतीक्षा करे खेत पर भूखा पेट सताए |
श्याम' बने कैसे मेरी रसोई  श्याम उपाय बताये |
बैरिन मुरली  श्याम अधर चढ़ तीनों लोक नचाये ||

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