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सोमवार, 9 जनवरी 2012

ये आँखें



कभी अनमोल मोतियों
को गिरा देती हैं |
तो कभी बहुत कुछ 
अपने में छुपा लेती हैं ,
ये आँखें |
   -- " दीप्ति शर्मा "

5 टिप्‍पणियां:

  1. दीप्ति जी...यह तो एक स्टेटमेन्ट है...जो एक प्रसिद्ध ..जग ज़ाहिर तथ्य है....
    ---यदि इसी तथ्य को कहना है तो अपने मूल काव्य-शब्द , कविता में कहिये.... सुन्दर विषय है.....

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  2. यथा.....
    अनमोल मोतियों को जो गिरा देती हैं आंखें ।
    न जाने क्या क्या छुपा लेती हैं आंखें।

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  3. और कभी कभी मन की सारी बातें भी बोल देती हैं

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  4. सार्थक/खूबसूरत भावाभिव्यक्ति
    सादर.

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  5. सुंदर रचना....
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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