पेज

बुधवार, 7 दिसंबर 2011

तुम्हारे बिना .....कविता ......डा श्याम गुप्त

                        हर नारी व्यक्तित्व महत्वपूर्ण है और प्रभावित करती  है, जब तक घर की नारी प्रभावित नहीं करती क्या लाभ....  charity begins from home........


प्रिये ! 
सूरज की महत्ता, भादों में-                   
धूप का अकाल पड़ने पर 
सामने आती है |
इसी तरह-
तुम्हारे बिना, आज-
मन का कोना कोना गीला है ;
जैसे बरसात में,
सूरज के बिना,
कपडे गीले रह जाते हैं |

वस्तु की महत्ता का बोध, उसकी-
अनुपस्थिति से बढ़ जाता है |
इसीलिये तुम्हारी अनुपस्थिति में ,
हर बार-
तुम्हारे आकर्षण का ,
एक नया आयाम मिल जाता है |

लहरों और कूलों के आपसी सम्बन्ध में ,
अणु-कणों के आतंरिक द्वंद्व में ,
सर्वत्र संयोग व वियोग का क्रंदन है |

संयोग और वियोग,
वियोग और संयोग,
सभी में इसी का स्पंदन  है,
यही जीवन है ||

16 टिप्‍पणियां:

  1. वस्तु की महत्ता का बोध, उसकी-
    अनुपस्थिति से बढ़ जाता है |
    इसीलिये तुम्हारी अनुपस्थिति में ,
    हर बार-
    तुम्हारे आकर्षण का ,
    एक नया आयाम मिल जाता है |


    बहुत सुन्दर रचना ...!

    जवाब देंहटाएं
  2. आज आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति चर्चा मंच पर है |

    जवाब देंहटाएं
  3. This is excellent. I come here all the time and it’s post like this that are the reason. Keep up the great writing.

    From Great talent

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर कविता नए प्रतीकों को साधती निखारती

    जवाब देंहटाएं
  5. धन्यवाद, वीरूभाई, निशाजी, विक्रम,अनलकी(?).राज्पूत,रविकर, शशीजी व निराला जी...
    ---धन्य्वाद शिखाजी....आपके इस ब्लोग पर अडोब फ़्लेश प्लेयर कुछ डिस्टर्ब्ड कर रहा है...जल्दी जल्दी हेन्ग होजाता है....देखें..

    जवाब देंहटाएं
  6. इसीलिये तुम्हारी अनुपस्थिति में ,
    हर बार-
    तुम्हारे आकर्षण का ,
    एक नया आयाम मिल जाता है |

    बहुत सुन्दर कविता |

    जवाब देंहटाएं
  7. धन्यवाद राज्पूत जी, तिवारी जी व सन्गीता जी......

    जवाब देंहटाएं
  8. @ bhaiyaa kishor jee...ma'am kise kah rahe---

    MA'hamana ------ shy'MA
    ha ha ha ha --
    sadar pranaam

    जवाब देंहटाएं