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सोमवार, 28 नवंबर 2011

लिव-इन-रिलेशनशिप- भारतीय समाज में स्थान


लिव-इन-रिलेशनशिप- भारतीय समाज में स्थान

आज नव भारत टाइम्स की वेबसाईट पर यह खबर पढ़ी -

[नव-भारत टाइम्स से साभार ]

''लिव-इन पार्टनर ने खौलता तेल डाला


नई दिल्ली।। लिव-इन रिलेशनशिप में तकरार होने पर महिला ने अपने पार्टनर को खौलता हुआ तेल डालकर जला दिया। राहगीरों ने घायल को जीटीबी अस्पताल भर्ती कराया। पुलिस आरोपी औरत को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई कर रही है। पुलिस के मुताबिक, पेशे से प्रॉपर्टी डीलर संजय (33) दिल्ली के हर्ष विहार में रहता है। संजय ताहिरपुर इलाके में ममता के साथ काफि दिनों तक लिव-इन में रहा। कुछ दिनों पहले उसने ममता का साथ छोड़ दिया था और शादी कर ली। जब ममता को संजय की शादी के बारे में पता चला तो उसने अपने घर बुलाया। वह पहुंचा तो ममता उसे ऊपर वाले कमरे में बैठा कर चाय बनाने रसोई में चली गई। थोड़ी देर बाद एक पतीले में खौलता तेल लेकर आई और संजय के ऊपर डाल दिया। बुरी तरह से झुलस चुका संजय किसी तरह वहां से जान बचाकर भागा। राहगीरों ने उसे जीटीबी अस्पताल पहुंचाया। 
जानकारी के मुताबिक, ममता शादीशुदा है लेकिन पिछले कुछ सालों सेवह पति से अलग रह रही है। हाल ही में हुई शादी के बाद संजय अब ममता से दूरियां बनाने लगा था। इस बात से वह खफा थी। नंदनगरी थाना मामले की जांच कर रही है''
                भारतीय समाज में ऐसी घटना हमें चौकाती है क्योकि हम मर्यादाओं को जीवन से भी अधिक महत्त्व देते हैं पर पिछले कुछ सालों में हमारे समाज में भी अमर्यादित आचरण बढ़ा है .हम मूक रहकर उन्हें स्वीकृति भी दे रहे हैं .''लिव-इन-रिलेशनशिप ''ऐसा ही एक अमर्यादित आचरण मात्र है .विवाह-संस्था को धता बताकर उन्मुक्त  होकर  रहना  और किसी भी समय ऊब कर एक -दूसरे को छोड़ देना लिव-इन-रिलेशनशिप का फंडा है .उदेश्य मात्र वासना पूर्ति और उत्तरदायित्वों से मुक्ति .

विवाह को हिन्दू धर्म में एक संस्कार का दर्जा दिया गया है .जन्म व् मृत्यु के बाद शायद सर्वाधिक महत्त्व सोलह संस्कारों में इसे ही दिया जाता है .इस्लाम  में पत्नी  को ''शरीक-ए हयात '' की पदवी प्रदान की गयी है व् निकाह  के समय ही मेहर तय कर स्त्री को आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर दी जाती है .विवाहित स्त्री-पुरुष  को समाज में सम्मान की दृष्टि से देखा जाना उन मर्यादाओं की महत्ता को प्रतिपादित करता  है जो भावी पीड़ी को समाज में वैध-संतान का दर्जा तो दिलवाता ही है .साथ ही व्यक्ति पर एक दबाव भी बनाता है कि-''यदि आप अवैध  सम्बन्ध बनाते हैं [स्त्री हो अथवा पुरुष ]तो आपके ऐसे संबंधों को समाज स्वीकार  नहीं करता है और न  ही ऐसे संबंधों से उत्पन्न संतान को वैध संतान की मान्यता दी जाती है .
                  संजय -ममता जैसे  लोग  समाज की सहानुभूति  नहीं बटोर  पाते  क्योंकि ये  स्वयं गलत  मार्ग पर हैं .ममता को अगर पहले विवाह में परेशानी का सामना करना पड़ा था तो उसे विधिवत तलाक लेकर संजय से विवाह करना चाहिए था .संजय को भी भारतीय समाज की मर्यादाओं का पालन करते हुए ममता के साथ सम्बन्ध रखने चाहिए थे और जब विवाह को मान्यता दे ही नहीं रहा था तो ममता को यूज कर छोड़ देना उसकी गिरी हुई हरकत ही कही जाएगी पर ममता जैसी स्त्रियाँ स्वयं पुरुष को अपने शोषण का मौका देती हैं फिर गर्म तेल से संजय को जलाकर किस बात का बदला लेना चाहती हैं ?यदि संबंधों की शुरुआत संजय ने ही की थी तब भी ममता को अपना शोषण करने का अधिकार उसे नहीं देना चाहिए था .वासना पूर्ति को बढ़ावा देने वाली और समाज को भ्रष्ट आचरण  की ओर ले  जाने  वाली ''लिव-इन रिलेशनशिप ''को भारतीय समाज में शायद ही कभी सम्मानीय स्थान मिल पाए .

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