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शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

''तुम तो मस्तिष्क से हो दिवालिया स्त्री ''-पुरुष- कटाक्ष

''तुम तो मस्तिष्क से हो दिवालिया स्त्री  ''-पुरुष- कटाक्ष



नवभारत टाइम्स पर ''एक बेटी का परम्परा के मुंह पर करार तमाचा'' पर आई इस टिप्पणी का जवाब मैं ऐसे ही दे सकती हूँ -

 [जितनी भी महिला लेखक हैं वो सब इसी टॉपिक पर लिखने लग पड़ी है. ओर ये सारे लेख आप सब के दिमागी दिवालियापन को दर्शाते हैं आप की नज़र आप का भाई तो राम ओर दूसरों का भाई राक्षस, मनचला,आवारा ओर बदतमीज़. मोहतार्मा दर्शटिदोष आप को है तो आरोप दूसरो पर क्यों डालते हो.लिख्नना है तो कुछ ढंग का टॉपिक उठाओ नही तो घर का कामकाज करो घर वाले भी खुश होंगे ओर परिवारिक हिंसा से भी बच ए रहोगे.]


जब भी स्त्री करती है बात 
अपने अधिकार की ;
पुरुष उडाता है खिल्ली 
करता है व्यंग्य-वार;
जिनकी धार  तेज होती है 
तलवार सी .

तुम  अबला हो ,निर्बल हो ,
पुरुष बहकाता है यह कहकर ,
तुम मात्र मेरी छाया हो 
रहो चौखट के भीतर 
कहता है आँख दिखाकर .

स्त्री का अलग अस्तित्व 
निर्मित ही नहीं होने देता ;
स्त्री का विवेक पुरुष भय 
की शैय्या पर है सोता 

उसे अहसास कराया जाता है 
''तुम हीन हो ''
पुरुष तुमसे श्रेष्ठ है 
इसीलिए तुम उसके 
अधीन हो .

युगों-युगों से सोयी मेधा को 
जब भी स्त्री ने जगाने का प्रयास किया ;
पुरुष ने कटाक्ष-कटार चलाकर कहा 
''तुम तो मस्तिष्क से हो दिवालिया  ''

पर मैं कहना चाहती हूँ 
अकस्मात तो  चमत्कार ही होते हैं ;
स्त्री एक मानवी ही तो है 
धीरे-धीरे जागेगी ;बढ़ेगी 
और कितना भी उपहास उड़ा लो 
अब अपने अधिकारों की बात करने में 
न पीछे हटेगी .
                      shikha kaushik 


5 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक प्रस्तुति, आभार.

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें, अपनी प्रतिक्रया दें.

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  2. आदरणीय महोदया

    नारी के प्रति पुरूष का ऐसा व्यवहार सदियों से होता आया है । अवगत कराना चाहता हूँ कि किसी कार्यालय में तैनात पुरूष अधिकारी अथवा सहकर्मी द्वारा अपनी सहयोगी महिलाकर्मी की निजता में दखल देना भारतीय दंड संहिता के अधीन दंडनीय है । दंड प्रक्रिया संहिता1972 में इससे संबंधित एक संपूर्ण अध्याय उपलबध है। बहुत बहुत शुभकामना के साथ

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  3. आदरणीय महोदया

    नारी के प्रति पुरूष का ऐसा व्यवहार सदियों से होता आया है । अवगत कराना चाहता हूँ कि किसी कार्यालय में तैनात पुरूष अधिकारी अथवा सहकर्मी द्वारा अपनी सहयोगी महिलाकर्मी की निजता में दखल देना भारतीय दंड संहिता के अधीन दंडनीय है । दंड प्रक्रिया संहिता1972 में इससे संबंधित एक संपूर्ण अध्याय उपलबध है। बहुत बहुत शुभकामना के साथ

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  4. सही---यद्यपि अब खुल्लम खुल्ला अब एसा नहीं है ...पढा लिखा पुरुष एसा नहीं कह/ कर पारहा ...परन्तु वास्तव में मन से अभी भी वह( पुरुष ) पूर्ण रूप से स्त्री-समता को स्वीकार नहीं कर पाया है.....

    --तमाम पढे लिखे युवा...अमेरिका पलट, वैग्यानिक, अफ़सर ,चिकित्सक, नेता, स्वयं समाज् शास्त्री भी अपने घर में नारी स्वतन्त्रता को पनपने नहीं देते ..यह सचाई है....

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