माँ का ललना |
झूले पलना ||
समय समय पर
दूध पिलाती |
जीवन खातिर-
दूध पिलाती |
जीवन खातिर-
हाड़ गलाती |
दीप शिखा सी
हर-पल जलना ||
माँ का ललना |
झूले पलना ||
आयु बढती--
ताकत घटती |
पति-पुत्र में -
बंटती-मिटती |
आज बिकल है -
कल भी कल-ना ||
आयु बढती--
ताकत घटती |
पति-पुत्र में -
बंटती-मिटती |
आज बिकल है -
कल भी कल-ना ||
माँ का ललना |
झूले पलना ||
आया रिश्ता-
बेटा बिकता |
धीरे-धीरे--
माँ से उकता |
होती परबस-
डरना-मरना ||
आया रिश्ता-
बेटा बिकता |
धीरे-धीरे--
माँ से उकता |
होती परबस-
डरना-मरना ||
माँ का ललना |
झूले पलना ||
हो एकाकी ,
पोते-पोती
हो एकाकी ,
साँसे बाकी |
बनती जोती |
हाथ छुड़ा के --
फिर घर चलना ||
माँ का ललना |
हाथ छुड़ा के --
फिर घर चलना ||
माँ का ललना |
झूले पलना ||
सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति बधाई
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की बधाइयाँ
मनोभावों की सार्थक प्रस्तुति .माँ का जीवन ऐसा ही तो होता है .आभार
जवाब देंहटाएंbahut sundar post,aabhaar
जवाब देंहटाएंसमय समय पर
जवाब देंहटाएंदूध पिलाती |
जीवन खातिर-
हाड़ गलाती |
दीप शिखा सी
हर-पल जलना ||
माँ का ललना |
झूले पलना ||
ati sundar bhaav saabhaar
bahut sunder laajabaab.
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