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सोमवार, 5 सितंबर 2011


बेटे के लिए सुंदर सुशील बहु कहां से आयेगी ?



        प्रकृति का एक चक्र है यदि उसके साथ छेडछाड की जाती है,तो वह चक्र रूक जायेगा ,इस संसार के विकास का पहिया थम जायगा ,तब सृष्टि नहीं विनाश होगा और विनाश के हम सब जिम्मेदार होगे । आजकल पानी की एक गंभीर समस्या है ,लोगो को पीने तक का पानी नही मिल रहा है क्योकि पानी के चक्र के लिए जो वनस्पति, पेड पोधे वन जरूरी है ,उसके साथ मानव ने छेडछाड की है ।  
           इसी प्रकार  बेटी को जन्म न देकर कन्या -भूण की हत्या करके हमने प्रकृति के सिद्धात को तोडने की कोशिश की है जिसका परिणाम भयावह होगा । नारी जिसे करूणा की प्रतिमूर्ति,मातृत्व की साकार प्रतिमा,सजृन व धैर्य की देवी माना जाता है। भारत में जहॉ नारी की देवी के रूप मंे उपासना की जाती है,वहॉ इस नारी शक्ति को भ्रूण में ही समाप्त किया जा रहा है। दरिन्दगी का यह खेल कन्या शिशु हत्या के रूप मे सदियों से चला आ रहा है, पहले कन्या को जन्म लेते ही लोग नमक चटा देते थे,जिससे नवजात शिशु कन्या की मौत हो जाती थी या कन्या शिशु को पैदा होते ही घर के पिछवाडे छोड दिया जाता था वही वह भूख,सर्दी और गर्मी से दम तोड देती थी ।अब यह खेल कन्या भू्रण हत्या के रूप में जारी है गा्रमीण क्षेत्रो से अधिक शहरी क्षेत्रो में कन्या भू्रण देखने
को मिलती है।
 ।

           बिना मातृत्व के एक स्त्री को अधूरी माना जाता है,जिस पूर्णता को प्राप्त होने पर जहॉ उसे आत्म संतोष का आभास होता है,लेकिन ज्योहिं यह पता पडता है कि यह भू्रण कन्या है तो वह उसे नष्ट करने के लिए तैयार हो जाती है। इसका सबसे बडा कारण समाज में छाया नर का वर्चस्व,साथ ही नारी जन्म से जुडी अभिशप्त परिस्थतियॉ। पुरानी मूढ मान्यताओं के विषय में यह भी समझ लिया जाता है कि शिक्षा का प्रचार प्रसार होगा,जनजागृति आयेगी ,वे मिटती चली जायेगी ,परंतु कन्या-भू्रण हत्या पढे लिखेे समाज में भी हो रही है ।
नेपोलियम ने कहा था कि ‘तुम मुझे सुदृढ मॉ दो मैं तुम्हें  एक सुदृढ राष्ट् दूगा ।  गांधीजी ने कहा था कि एक शिक्षित नारी सारे परिवार का  उद्धार कर सकती है । 
         यह एक विचारणीय पहलू है कि यदि हम कन्या- भू्रूण की ंहत्या कर देगे तो इस समाज का,परिवार का, देश का, रूप कैसा होगा?। जब इस पृथ्वी पर बेटिया ही नही रहेगी तो कहॉ से  आयेगी उनके लिए बहुए?यदि आपके मन मे बेटे की कामना हैै तो साथ मे बहु की कामना भी करनी होगी इसके लिए बेटियोे  को भू्रूण में बचाना होगा । उनको जन्म देकर ,अच्छे संस्कार व शि़क्षा देकर हमारे देश, समाज व परिवार के सुन्दर भविष्य की आधारशीला तैयार करनी होगी । दूधो नहाओ, पूतो फलो के आशीवार्द को बदलना होगा। यदि पुत ही पैदा होगे तो उसके लिए सुंदर सुशील बहू कहॉ से आयेगी?
 हरियाणा राजस्थान,पंजाब व दक्षिणी दिल्ली में शिक्षा पूरी तरह से असफल रही है ,कन्या-भ्रूण हत्या अनपढ लोगो से ज्यादा पढे लिखे लोग कर रहे है ,,यह समाज के लिए शर्म की बात है । पढे लिखे डाक्टरों द्वारा पैसो के लालच में कन्या-भू्रण हत्या की जा रही है,केवल समाज में पुरूष ही पुरूष होगे तो समाज कैसा होगा?
              नारी परिवार की मूल मजबूत दीवार है वह अपने आचरण का प्रभाव पत्नि रूप से पति पर मातृरूप से भावी सन्तान पर डाल सकती है 
कल्पना करे जिस समाज में केवल पुरूष होगे वह समाज कैसा होगा। धर्म दया,प्रेम,सहयोग की भावनाए नारी के कारण ही इस समाज में जीवित है ,नारी नही तो कुछ नही .......।       आज हम यह जानते हुए भी कि बेटे से अधिक बेटिया ही माता-पिता की सेवा करती है और बेटिया स्वंय अपनी प्रतिभा व मेहनत के बलपर चारो दिशाओं मे अपनी उपस्थिति दर्ज कर रही है फिर भी हम कन्या पैदा करना नही चाहते है हम झूठा आवरण ओढे हुए है,भीतर कुछ बाहर कुछ।   
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