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शनिवार, 17 सितंबर 2011

बहुएं और बेटियाँ

मादा भ्रूण हत्या से संबंधित मात्र चार लाइनें “बहुएं और बेटियाँ”और “संबंध”आज प्रस्तुत कर रहा हूँ जिन्हें लिखा है रजनी अनुरागी जी ने जो दिल्ली विश्विद्यालय से हिन्दी साहित्य में पीएच-डी हैं और जानकी देवी मेमोरियल कालेज में पढ़ाती है।

नवोदित कवयित्री रजनी अनुरागी की कविताओं की केन्दीय भाव-भूमि व्यापक मानवीय सरोकार है।

सहज भाषा में गहन अभिव्यक्ति और स्पष्ट वैचारिकी उनके काव्य व्यक्तित्व की विशेषताएंहैं। उनकी कविताएं हिन्दी की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छप चुकी हैं।


“बिना किसी भूमिका के” उनका पहला कविता संग्रह है।

इनका ईमेल है : rajanianuragi@gmail.co
बहुएं और बेटियाँ



शादी के बाद मारी जाती हैं बहुएं


और बेटियाँ ...


जन्म से पहले ही


घोंट दिया जाता है उनका गला


संबंध


मैंने उससे कहा

आओ मेरा मन ले लो

उसे मेरा तन चाहिए था


मैंने फिर उससे कहा

आओ मेरा मन ले लो

उसे मेरा धन चाहिए था


उसने मेरा तन लिया

उसने मेरा धन लिया

मन तक तो वो आया ही नहीं


अब मैं सोचती हूँ

कि मैंने उसके साथ

इतना लम्बा जीवन कैसे जिया


पर जीवन जो बीत गया

जीवन जो रीत गया

वह जिया गया कहाँ

14 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद गहन कवितायें असर छोडती हैं।

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  2. दोस्तों, क्या आप सोच सकते हैं कि अनपढ़ और गँवार लोगों का भी कोई ग्रुप इन्टरनेट की दुनिया पर भी हो सकता है. मैं आपका परिचय एक ऐसे ही ग्रुप से करवा रहा हूँ. जो हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु हिंदी प्रेमी कहूँ या विद्वानों ने मिलकर बनाया है. जो अपना "नाम" करने पर विश्वास नहीं करते हैं बल्कि अच्छे "कर्म" करने के साथ ही देश प्रेम की भावना से प्रेरित होकर अपने आपको "अनपढ़ और गँवार" की संज्ञा से शोभित कर रहे हैं. अगर आपको विश्वास नहीं हो रहा, तब आप इस लिंक पर जाकर देख लो. http://www.facebook.com/groups/157691930985094/ क्या आप भी उसमें शामिल होना चाहेंगे?

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  3. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।

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  4. SHIKHA JI
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें /
    मेरी १०० वीं पोस्ट पर भी पधारने का
    ---------------------- कष्ट करें और मेरी अब तक की काव्य-यात्रा पर अपनी बेबाक टिप्पणी दें, मैं आभारी हूँगा /

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  5. बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||

    आपको हमारी ओर से

    सादर बधाई ||

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  6. ... बेहद प्रभावशाली प्रशंसनीय अभिव्यक्ति है ।

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  7. और जो बेटी, बहू मारी जाती है, उसे मारने वाली बेटी या बहू किस अपराध भावना में जीती है? उसे विवश करने वाले समाज के नियम ..

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  8. आपको बधाई,बहुत ही दिल को छुने वाली बात कही है आपने।

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  9. दोनों ही रचनाएँ मन के भावों को पूरी तरह अभिव्यक्त करतीं हैं

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  10. बहुत ही खुबसूरत प्रस्तुती ....

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  11. नारी मन की अलग छवि मिली इनकी कविता में. इन्हें और भी उत्कृष्ट लेखन की शुभकामनाएं.

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