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रविवार, 28 अगस्त 2011

लघु कथा-समय नया -सोच वही


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                                           [फोटो बुक्केट से साभार ]
......शर्मा जी और सब तो ठीक है बस समीर चाहता है कि कनक बिटिया बाल नए फैशन के कटवा ले ......यू नो .....आजकल के लड़के कैसी पत्नी पसंद करते हैं !'' यह कहकर समीर के मामा जी ने फोन काट दिया .शर्मा जी असमंजस में पड़ गए ....आखिर ये कैसी डिमांड है ? शर्मा जी के पास बैठी उनकी पत्नी मिथिलेश बोली ''क्या कह रहे थे भाईसाहब ?' शर्मा जी मुस्कुराते हुए बोले ''मिथिलेश याद है तुम्हे शादी से पहले तुम किरण बेदी टाईप बाल रखती थी और मेरी जिद पर तुमने इन्हें बढा लिया था क्योंकि मै चाहता था कि तुममे लक्ष्मी जी का पूरा रूप दिखे पर .........आज देखो होने वाला दामाद चाहता है कि कनक अपने बाल कटकर छोटे करा ले .......कितने अजीब ख्यालात रखती है नयी पीड़ी !'' मिथिलेश व्यंग्य में मुस्कुराते हुए बोली ''नयी हो या पुरानी पीड़ी चलती तो पुरुष की ही है न !जाती हूँ कनक के पास ;उसे तैयार भी तो करना है बाल छोटे करवाने के लिए .''
                                                  शिखा  कौशिक  
                               [मेरी कहानियां ]

9 टिप्‍पणियां:

  1. शिखा जी यही तो विडंबना है औरत को प्रिजेंटएब्बिल होना चाहिए वह भी कथित परमेश्वर के अनुरूप और यह तुर्रा तो तब है जब समाज में लडकियां कम हैं .यहाँ भी एक अन्ना चाहिए .
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
    कपिल मुनि के तोते .

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  2. बिलकुल सही कहा आपने यथार्थ को चित्रित करती लघुकथा

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  3. सच्चाई को आपने बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है! शानदार लघुकथा !
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  4. सोच बदलनी चाहिए, इसके लिए कोई जन आन्दोलन नहीं स्वयं आंदोलित होने की आवश्यकता है.

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  5. बिल्‍कुल सही कहा है आपने ...सार्थक एवं सटीक लेखन ।

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  6. ज़माना बदल गया है- वन वे ट्रेफ़िक अब नहीं चलती:)

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