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मंगलवार, 2 अगस्त 2011

स्त्री कर रही है ऐलान !


स्त्री कर रही है ऐलान !

हजारों वर्षों की
यात्रा करके आज
पहुंची है स्त्री यह
कहने की स्थिति में
''मैं भी एक अलग व्यक्तित्व हूँ ''
मेरा भी समाज में अलग अस्तित्व है .

मनु ने पिता ,पति
पुत्र की दीवारों में
किया कैद स्त्री को ,
पुत्री,पत्नी ,माता और
बहन के रूप में सर्वस्व
न्यौछावर करती हुई
अबला बना दी गयी
''नर की शक्ति नारी ''

केवल देह मान  ली गयी
और पुरुष ने घोषणा की
''नारी मेरी संपत्ति है ''
कभी मर्यादा व्  लोकरंजन के नाम पर
वन-वन भटकाई गयी ,
कभी जुए में दाव पर लगा दी गयी
नारी की अस्मिता ;
फिर कैसे विश्वास करें
की भारतीय संस्कृति में
सम्मानित स्थान  दिया गया
है स्त्री को ?

ये ठीक है कि
आज भी नारी देह का  
शोषण जारी है ;
आज भी नर नारी को मानता है
अपनी दासी
लेकिन खुल चुकी हैं
कुछ खिड़कियाँ
पितृ- सत्तात्मकता   की
मजबूत दीवारों में ,
जहाँ से झांक कर स्त्री कर रही
है ऐलान
''मैं भी एक अलग व्यक्तित्व हूँ ''
मेरा भी समाज में पृथक
अस्तित्व है .
                          शिखा कौशिक


6 टिप्‍पणियां:

  1. ''मैं भी एक अलग व्यक्तित्व हूँ ''
    मेरा भी समाज में पृथक
    अस्तित्व है .
    शिखा कौशिक


    बहुत बहुत बधाई हो आपको बिलकुल सही कहा है आपने अपने रचना के माध्यम से

    शिखा जी मुझे भी अपने मंच की सदस्यता स्वरुप लिंक प्रदान कर आपने परिवार में शामिल होने का मौका दे इसी आशा के साथ ...
    आपका ब्लागर साथी
    नीलकमल वैष्णव "अनिश"
    www.neelkamalkosir@gmail.com

    जवाब देंहटाएं
  2. स्त्री के मन की सशक्त अभिवयक्ति...

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  3. बधाई ||
    क्या खूब ??

    लेकिन कई घरो में पहले से ही
    सत्ता महिलाओं के ही हाथ में है ||
    और किसी को कोई शिकायत नहीं ||
    न पत्नी को और न दोनों बेटियों को ||
    सभी आर्थिक और सामाजिक निर्णय भी महिलाओं के हाथ में, मेरी भूमिका मात्र सलाहकार की ||

    जवाब देंहटाएं
  4. सागर जी धन्यवाद उत्साहवर्धन हेतु .नीलकमल जी -आपको कल ही निमंत्रण भेज दिया था .आज फिर से भेज रही हूँ .रविकर जी सत्ता महिलाओं को देकर भारतीय नारी का गौरव बढ़ाया hai .shukriya .

    जवाब देंहटाएं
  5. सागर जी धन्यवाद उत्साहवर्धन हेतु .नीलकमल जी -आपको कल ही निमंत्रण भेज दिया था .आज फिर से भेज रही हूँ .रविकर जी सत्ता महिलाओं को देकर भारतीय नारी का गौरव बढ़ाया hai .shukriya .

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