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बुधवार, 27 फ़रवरी 2019
अब न ठहर पाऊंगा'--नज़्म ---डा श्याम गुप्त
----एक वीर,सैनिक जब युद्ध पर जाता है तो उसके उदगार क्या होते हैं देखिये -----श्रृंगार रस में शौर्य , वीर रस की उत्पत्ति ----प्रस्तुत है एक नज़्म----'अब न ठहर पाऊंगा'---
आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद" ( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में गुरुवार 28 फरवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1322 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा। चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 28 फरवरी 2019 को प्रकाशनार्थ 1322 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
बहुत ही सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंजय हिंद !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति. हार्दिक आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति एक वीर का अंतर्मन
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