मेरे भईया
प्यारे से भईया
ये बांधी है
कोमल सी, नरम सी
डोरी तुम्हारी मजबूत कलाई पर,
अपनी रक्षा के लिए कतई नहीं,
बल्कि तुम्हें ये स्मरण कराते रहने के लिए
कि जब भी किसी गैर लड़की को देखकर
तुम्हारे ह्रदय में उठे वासना का तूफान,
तभी इस पर नज़र पड़ते ही ये सोचकर
रूक जाना, हो जाना सावधान कि कहीं
तुम्हारी बहन भी किसी दिन, किसी जगह, फंसी हुई
किसी और पुरूष के चंगुल में
दे रही हो इज्जत बचाने का इम्तिहान!!!
प्यारे से भईया
ये बांधी है
कोमल सी, नरम सी
डोरी तुम्हारी मजबूत कलाई पर,
अपनी रक्षा के लिए कतई नहीं,
बल्कि तुम्हें ये स्मरण कराते रहने के लिए
कि जब भी किसी गैर लड़की को देखकर
तुम्हारे ह्रदय में उठे वासना का तूफान,
तभी इस पर नज़र पड़ते ही ये सोचकर
रूक जाना, हो जाना सावधान कि कहीं
तुम्हारी बहन भी किसी दिन, किसी जगह, फंसी हुई
किसी और पुरूष के चंगुल में
दे रही हो इज्जत बचाने का इम्तिहान!!!
आपको सूचित किया जा रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल सोमवार (27-08-2018) को "प्रीत का व्याकरण" (चर्चा अंक-3076) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक धन्यवाद.
हटाएंसटीक
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सटीक ---
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