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मंगलवार, 24 नवंबर 2015

''दर्द दिल में है तेरे हम जानते हैं !''



दर्द दिल में है तेरे हम जानते हैं !
ज़ख्म गहरे हैं तेरे हम जानते हैं !
..........................................
ग़मों की आग में तपकर मासूम सा ये दिल ,
धधकता सीने में तेरे हम जानते हैं !
.............................................
छलक आते हैं आसूँ  आँखों में बेशरम ,
नहीं बस में हैं तेरे हम जानते हैं !
...........................................
तज़ुर्बा कह रहा हमसे वफ़ा का है सिला धोखा ,
नहीं कुछ हाथ में तेरे हम जानते हैं !
......................................
क्यों सदमा सा लगा तुझको हकीकत जानकर 'नूतन'
नहीं कोई साथ है तेरे हम जानते हैं !


शिखा कौशिक 'नूतन'

5 टिप्‍पणियां:

  1. ​​​​​​सुन्दर रचना ..........बधाई |
    ​​​​​​​​​​​​आप सभी का स्वागत है मेरे इस #ब्लॉग #हिन्दी #कविता #मंच के नये #पोस्ट #​असहिष्णुता पर | ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |

    ​http://hindikavitamanch.blogspot.in/2015/11/intolerance-vs-tolerance.html​​

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  2. क्यों सदमा सा लगा तुझको हकीकत जानकर 'नूतन'
    नहीं कोई साथ है तेरे हम जानते हैं !

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  3. गमों की आग में तपकर मासूम सा ये दिल
    दधकता सीने में है तेरे हम जानते हैं । बहुत खूब शिखा जी सूंदर रचना।

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  4. गमों की आग में तपकर मासूम सा ये दिल
    दधकता सीने में है तेरे हम जानते हैं । बहुत खूब शिखा जी सूंदर रचना।

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