दर्द दिल में है तेरे हम जानते हैं !
ज़ख्म गहरे हैं तेरे हम जानते हैं !
..........................................
ग़मों की आग में तपकर मासूम सा ये दिल ,
धधकता सीने में तेरे हम जानते हैं !
.............................................
छलक आते हैं आसूँ आँखों में बेशरम ,
नहीं बस में हैं तेरे हम जानते हैं !
...........................................
तज़ुर्बा कह रहा हमसे वफ़ा का है सिला धोखा ,
नहीं कुछ हाथ में तेरे हम जानते हैं !
......................................
क्यों सदमा सा लगा तुझको हकीकत जानकर 'नूतन'
नहीं कोई साथ है तेरे हम जानते हैं !
शिखा कौशिक 'नूतन'
सुन्दर रचना ..........बधाई |
जवाब देंहटाएंआप सभी का स्वागत है मेरे इस #ब्लॉग #हिन्दी #कविता #मंच के नये #पोस्ट #असहिष्णुता पर | ब्लॉग पर आये और अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |
http://hindikavitamanch.blogspot.in/2015/11/intolerance-vs-tolerance.html
क्यों सदमा सा लगा तुझको हकीकत जानकर 'नूतन'
जवाब देंहटाएंनहीं कोई साथ है तेरे हम जानते हैं !
गमों की आग में तपकर मासूम सा ये दिल
जवाब देंहटाएंदधकता सीने में है तेरे हम जानते हैं । बहुत खूब शिखा जी सूंदर रचना।
गमों की आग में तपकर मासूम सा ये दिल
जवाब देंहटाएंदधकता सीने में है तेरे हम जानते हैं । बहुत खूब शिखा जी सूंदर रचना।
wah bahut hi khoob!
जवाब देंहटाएं