[google से sabhar ]
कभी आंसू नहीं मेरी आँख में आने देती ;
मुझे माँ में खुदा की खुदाई दिखती है .
लगी जो चोट मुझे आह उसकी निकली ;
मेरे इस जिस्म में रूह माँ की ही बसती है .
देखकर खौफ जरा सा भी मेरी आँखों में ;
मेरी माँ मुझसे दो कदम आगे चलती है .
मेरे चेहरे से मेरे दिल का हाल पढ़ लेती ;
मुझे माँ कुदरत का एक करिश्मा लगती है .
नहीं कोई भी माँ से बढ़कर दुनिया में ;
इसीलिए तो माँ दिल पर राज़ करती है .
शिखा कौशिक 'नूतन '
सही ही कहा गया है कि भगवान हर जगह हर छण नही रह सकते इसलिए उन्होंने माँ को बनाया, इस दुनिया मे माँ से बढ़कर कुछ भी नही है।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना. .....
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जवाब देंहटाएंHerbal remedies
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी है और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बृहस्पतिवार- 26/03/2015 को
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः 44 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें,