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मंगलवार, 9 दिसंबर 2014

''वाह रे पतिदेव !''



नवयुवक राज अपना मोबाइल रिचार्ज कराकर  ज्यूँ ही दुकान से उतरा अनजाने  में उसका हाथ  एक  महिला  से टकरा गया .महिला कुछ कहती इससे पूर्व  ही उसके पति का खून ये दृश्य देखकर  खौल उठा .पतिदेव ने  तुरंत राज का गिरेबान पकड़ लिया और भड़कते हुए बोले -'' औरत को छेड़ता है ! शर्म नहीं आती ? '' राज अपनी सफाई देता हुआ बोला -'' भाई साहब ऐसा इत्तेफाक से हो गया ...मेरा ऐसा कोई मकसद नहीं था ....फिर भी मैं माफ़ी मांग लेता हूँ .'' ये कहकर राज ने अपना गिरेबान छुड़वाया और उस महिला के आगे हाथ जोड़कर बोला -''माफ़ कर दीजिये भाभी जी !'' महिला ने धीरे से पतिदेव की और देखते हुए कहा -''  अब छोडो भी ..तमाशा करके रख दिया ..कुछ हुआ भी था .ये ठीक कह रहे हैं जी .'' पतिदेव ने एक बार राज को घूरा और पत्नी को समझाते हुए बोले -'' तुम कुछ  नहीं समझती  ...ये आवारा लड़के ऐसे ही औरतों  को छेड़ते फिरते हैं  ...मेरे सामने कोई  तुम्हे हाथ लगाये ये मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता ...चल अब निकल ले   लड़के ..आगे से याद रखना किसी महिला को छेड़ना नहीं !'' ये धमकी देकर वे दोनों पति पत्नी पास की एक लेडीज टेलर की दूकान पर चढ़ गए . महिला को अपना  ब्लाऊज़  सिलवाना था  .पति की उपस्थिति  में ही महिला का नाप टेलर के पुरुष असिस्टेंट ने लिया और सड़क के दूसरी ओर की सामने की दूकान पर खड़ा राज मन ही मन मुस्कुराता हुआ सोचने लगा  - '' वाह रे पतिदेव ! ..पत्नी को कोई और हाथ लगाये तो इसे बर्दाश्त नहीं होता ..फिर अब कैसे बर्दाश्त हो गया ? ''

शिखा कौशिक 'नूतन '

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