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रविवार, 17 अगस्त 2014
रोयी रोयी भी हैं
जिसके सम्मोहन में
पागल ब्रजधाम भी हैं,ब्रजवासी भी हैं।
जिसकी प्रेम दिवानी
राधा रानी भी हैं,मीरा दासी भी हैं।
पहले राधा संग रास
रचाया,फिर विरह का पाठ पढ़ाया
प्रेम की रज़ रचाकर
दुनिया,खोई खोई सी,रोयी रोयी भी हैं।
बहुत सुन्दर और भावुक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाऐं ----
सादर --
कृष्ण ने कल मुझसे सपने में बात की -------
आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर ..सुन्दर...सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंवो कृष्ना है ...वो कृष्ना है...
जवाब देंहटाएंshyam Gupta ji आभार
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