पेज

शुक्रवार, 25 जुलाई 2014

.तेरी तो हर बात ग़ज़ल ....डा श्याम गुप्त




तेरी तो हर बात ग़ज़ल                        

तेरे दिन और रात ग़ज़ल,
तेरी तो हर बात ग़ज़ल |

प्रेम-प्रीति  की रीति ग़ज़ल,
मुलाक़ात की बात ग़ज़ल |

मेरे यदि नग्मात ग़ज़ल,
तेरी हर आवाज़ ग़ज़ल |

तेरे दर का फूल ग़ज़ल,
पात पात हर पात ग़ज़ल |

हमें भुलादो बने ग़ज़ल,
यादों की बारात ग़ज़ल |

तू हंसदे होजाय  ग़ज़ल,
अश्क अश्क हर अश्क ग़ज़ल |

तेरी शह की बात ग़ज़ल,
मुझको तेरी मात ग़ज़ल |

तू हारे तो क़यामत हो,
तेरी जीत की बात ग़ज़ल |

हंस देख कर शरमाये,
चाल तेरी क्या बात ग़ज़ल |

मेरी बात पे मुस्काना,
तेरे ये ज़ज्बात ग़ज़ल |

इठलाकर लट खुल जाना ,
तेरा  हर अंदाज़ ग़ज़ल |

तेरी ग़ज़लों पर मरते ,
कैसी सुन्दर घात ग़ज़ल |

श्याम' सुहानी ग़ज़लों पर ,
तुझको देती दाद ग़ज़ल
||


 



2 टिप्‍पणियां:

  1. तेरे दिन और रात ग़ज़ल,
    तेरी तो हर बात ग़ज़ल |
    बस यहीं ग़ज़ल जिंदा रहें
    बहुत खुब ग़ज़ल हैं।

    जवाब देंहटाएं
  2. तेरे दिन और रात ग़ज़ल,
    तेरी तो हर बात ग़ज़ल |
    बस यहीं ग़ज़ल जिंदा रहें
    बहुत खुब ग़ज़ल हैं।

    जवाब देंहटाएं