सोचि सोचि राधे हारी, कैसे रंगे बनवारी ,
कोइ तौ न रंगु चढ़े, नीले अंग वारे हैं |
बैजनी वैजन्तीमाल, पीत पट कटि डार,
ओठ लाल लाल श्याम, नैन रतनारे हैं |
हरे बांस वंसी हाथ, हाथन भरे गुलाल,
प्रेम रंग सनो कान्ह, केस कज़रारे हैं |
केसर अबीर रोली, रच्यो है विशाल भाल ,
रंग रंगीलो तापै, मोर मुकुट धारेहैं |
चाहें कौउ रंग डारौ, चढिहै न लालजू पै,
क्यों न चढ़े रंग, लाल, राधा रंग हारौ है |
राधे कहौ नील तनु, चाहें स्याम घन सखि ,
तन कौ है कारौ पर मन कौ न कारौ है |
जन कौ दुलारौ कहौ, सखियन प्यारौ कहौ ,
तन कौ रंगीलौ कहौ, मन उजियारौ है |
ऐरी सखि ! जियरा के प्रीतिरंग ढारि देउ,
श्याम' रंग न्यारौ चढे, सांवरो नियारो है ||
---- चित्र गूगल साभार ..
happy holi
जवाब देंहटाएंbahut sundar post .holi parv kee hardik shubhkamnayen .
जवाब देंहटाएंbahut sundar post .holi parv kee hardik shubhkamnayen .
जवाब देंहटाएंbahut sundar post .holi parv kee hardik shubhkamnayen .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शिखाजी व साबन कुमार ...
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