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गुरुवार, 23 जनवरी 2014

श्याम स्मृति....स्त्री -पुरुष समानता का अर्थ..डा श्याम गुप्त.....



                      श्याम स्मृति.....स्त्री -पुरुष समानता  का अर्थ..... 

                   अपने कर्तव्यों और मर्यादाओं की सीमा में रहते हुए, स्त्री-पुरुष एक दूसरे का आदर करें   यदि पुरुषों का एक अलग संसार है तो नारी का भी एक  'स्वका संसार है   कला, साहित्य, संगीत, गृहकार्य, सामाजिक-सांस्कृतिक सुरक्षा दायित्व में तो स्त्रियाँ प्रायः  पुरुषों से आगे रहती ही हैं
 
             स्त्री स्वतन्त्रता होनी ही चाहिए, पर क्या पुरुष से स्वतंत्रता ?  
  या अपने सहज कार्यों से ?...नहीं  तो स्त्री-जागरण   स्वतंत्रता का क्या अर्थ होपुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर समाज, देश धर्म-संस्कृति के कार्यों में समान रूप से भाग लेना   

            स्त्री स्वतन्त्रता सिर्फ पुरुषों के साथ कार्य करना, पुरुषों की नक़ल करना, पुरुषों की भाँति पेंट-शर्ट पहन लेना भर नहीं है   क्या कभी पुरुष..पायल, बिछुआ, कंकण, ब्रा आदि पहनते हैं ? सिन्दूर लगाते हैं क्या कोई महिला पुरुषों के साथ नहाने-धोने, कपडे बदलने  में सहज रह सकती है ? तो स्त्रियाँ क्यों  पुरुषों की नक़ल करें ? समानता होनी चाहिए,  अधिकारों कर्तव्यों के पालन में एक व्यक्तित्व को दूसरे व्यक्तित्व को सहज रूप से आदर समानता देनी चाहिए |

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