चौदह वर्षीय रेहान ने डायनिंग टेबिल परभोजन की थाली गुस्से में अपने आगे से सरकाते हुए कहा-'' माँ ..आपने प्रॉमिस किया था कि आज आलू के परांठे बनाओगी और फिर से ये दाल-रोटी बना दी ..मैं नहीं खाऊंगा !!'' ये कहकर वो उठा और घर से बाहर आकर खड़ा हो गया .उसकी माँ ने कई आवाज़ें लगाकर उसे रोकना चाहा पर वो नहीं रुका . बाहर खड़े हुए रेहान की नज़र सड़क किनारे मोची का काम करने वाले एक बच्चे और उसकी अंधी माँ पर पड़ी .रेहान ने देखा वो बच्चा सड़क पर लगे हैंडपम्प से हाथ धोकर एक गिलास पानी भरकर लाया और एक पोटली से रोटी-सब्ज़ी निकालकर पहला निवाला अपनी माँ के मुंह में रखने लगा .अंधी माँ ने हाथ से टटोल कर वो निवाला बच्चे के मुंह में रख दिया तब उस बच्चे ने दूसरा निवाला तोड़कर माँ के मुंह में रख दिया .उस बच्चे का अपनी माँ के प्रति प्यार देखकर रेहान लज्जित हो उठा अपने पर .वो तुरंत वापस घर में गया और डायनिंग टेबिल पर उदास बैठी माँ के चरणों में झुककर माफ़ी मांगते हुए बोला- '' माँ मुझ माफ़ कर दीजिये ...चलिए भोजन करते हैं .'' माँ के स्नेह से सिर पर हाथ रखते ही रेहान की आँखें भर आयी .
शिखा कौशिक 'नूतन'
Sundar kahani, marmsparshi
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आदरेया-
जवाब देंहटाएंअच्छी लघु कथा है...
जवाब देंहटाएं----मुझे लगता है कि अंग्रेज़ी चित्रों को प्रयोग न करें तो अच्छा है..चित्र की आवश्यकता भी नहीं है ...इस चित्र में वे मां बेटे कहाँ लगते हैं ...