जीवन: एक संघर्ष (LiFe :A StRuGgLe) : दास्तां-ए-सिगरेट by श्रवण शुक्ल: ((C) Copyright @ श्रवण शुक्ल
सिगरेट की दास्तां है अजीब!
सिगरेट की दास्तां है अजीब!
डिब्बी से निकली
माचिस की तिल्ली के साथ होंठों पर
फिर खत्म होते ही पैरों तले!
क्या अजीब है
दास्तां-ए-सिगरेट!
जलते हुए फेफड़ों में
फिर दिल तक पहुंचता है
वही जो शरीर का कर्ता-धर्ता है
फिर आगे का तो है ही पता..!!
दिल से हवा में.
फिर होंठे से फेफड़े
और फिर दिल तक!
कई दफे
यह दुष्चक्र
फिर दूसरी या चौथी बार में
फेफड़ों से दिल और फिर मष्तिष्क!.......... for more please log on to जीवन: एक संघर्ष (LiFe :A StRuGgLe) : दास्तां-ए-सिगरेट by श्रवण शुक्ल: ((C) Copyright @ श्रवण शुक्ल)
too good for public awareness .thanks
जवाब देंहटाएंस्वागत
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