भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता -४ प्रविष्टि -१
भारतीय नारी -----कविता ..मम्मी इमोशनल हो गयीं हैं;....
भारतीय नारी -----कविता ..मम्मी इमोशनल हो गयीं हैं;....
[रचनाकार -डा श्याम गुप्त ]
पुत्र-वधू का फोन आया
बोली, ’पापा ढोक’...
बोली, ’पापा ढोक’...
घर का फोन उठ नहीं रहा,
कहाँ व कैसे हैं आप लोग |
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खुश रहो बेटी,
ठीक हैं हम भी,
ईश्वर की कृपा से मज़े में हैं, और-
इस समय तुम्हारे ‘कमरे’ में हैं |
क्या....!
हाँ बेटा हम अहमदाबाद में हैं, तथा-
तुम्हारे पापा के आतिथ्य में हैं |
हैं ...मम्मी कहाँ हैं पापा !
बैठी हैं तुम्हारे कमरे में- सजल नयन,
वो इमोशनल होगई हैं, और-
विचार कर रही हैं --
सिर्फ यही नहीं कि,
कैसे तुम यहाँ की डोर छोडकर
गयी हो वहाँ,
अज़नबी, अजान डगर,
अनजान लोगों के साथ,
हमारे पास ;
अपितु---साथ ही साथ,
अपने अतीत की यादों के डेरे में...कि—
कभी वह स्वयं भी
अपना घर, कमरा, शहर
छोडकर आई थी ; और---
तुम्हारी ननद भी-
गयी है ,छोडकर ...
अपना घर, कमरा, कुर्सी, मेज़...
इसी तरह.........||
सराहनीय प्रस्तुति .हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंvery nice presentation .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद......
जवाब देंहटाएंसमझ नहीं पाया कहानी हैं या कविता ...लेकिन जो भी था अच्छा..... आभार
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