सिर शर्म से झुक गया कि क्या कोई किसी महिला के लिए इतने अभद्र तरीके से लिख सकता है जबकि अब तक ये साफ नहीं है कि इशरत एक आतंकी थी या नहीं .यदि थी भी तो किसी पुरुष को यह नहीं भूलना चाहिए ये भारत की संस्कृति नहीं .हमारी संस्कृति में तो शत्रु की स्त्री को भी ''देवी'' कहकर संबोधित किया जाता है .अलबेला खत्री जी इस पंक्ति में तो आपने ऐसा लिख डाला- ''तुम थी एक हसीना, सुन्दर अरु नमकीनतुमको खोकर होगए, सब लम्पट गमगीन----------हाय जय इशरत माता '' कि सम्पूर्ण नारी जाति इसे पढ़कर डूब मरे .क्या माता को कोई हसीना कह सकता है ?तुरंत इस पोस्ट को हटाये व् आगे से नारी के लिए लिखते समय दस बार सोचकर लिखें !
hasyakavi albela khatri
अथ श्री इशरत माँ की आरती जय इशरत माता, बोलो जय इशरत मातातुम क्यों मर गयी मैया, समझ नहीं आता ----------भोली जय इशरत मातातुम थी एक हसीना, सुन्दर अरु नमकीनतुमको खोकर होगए, सब लम्पट गमगीन ----------हाय ..
अलबेला जी ने इस पोस्ट को हटा लिया है .उनका शुक्रिया ..पर इसके बाद जो अभद्र भाषा में उन्होंने मुझे गाली देते हुए पोस्ट लिखी है उसका कोई औचित्य नहीं था ....बहरहाल ये उनके संस्कार होंगे .मैंने यहाँ उनकी पोस्ट कॉपी कर इसलिए लगाई थी कि मेरे विरोध का कारण क्या है इसलिए नहीं कि मेरे पास पोस्ट की कमी है .
hasyakavi albela khatri
अथ श्री इशरत माँ की आरती जय इशरत माता, बोलो जय इशरत मातातुम क्यों मर गयी मैया, समझ नहीं आता ----------भोली जय इशरत मातातुम थी एक हसीना, सुन्दर अरु नमकीनतुमको खोकर होगए, सब लम्पट गमगीन ----------हाय ..
अलबेला जी ने इस पोस्ट को हटा लिया है .उनका शुक्रिया ..पर इसके बाद जो अभद्र भाषा में उन्होंने मुझे गाली देते हुए पोस्ट लिखी है उसका कोई औचित्य नहीं था ....बहरहाल ये उनके संस्कार होंगे .मैंने यहाँ उनकी पोस्ट कॉपी कर इसलिए लगाई थी कि मेरे विरोध का कारण क्या है इसलिए नहीं कि मेरे पास पोस्ट की कमी है .
ये है अलबेला जी भाषा -शैली -
नारी के नाम
पर शब्दविलास करके टाईमपास करने वाली एक नारी [ ब्लॉग ] ने मेरी एक पोस्ट
का विरोध करते हुए उसे हटाने का निवेदन किया जिसे मैंने तुरंत हटा दिया ........
क्योंकि मैं उसे वैसे भी हटाने वाला ही था . .........................................
पर शब्दविलास करके टाईमपास करने वाली एक नारी [ ब्लॉग ] ने मेरी एक पोस्ट
का विरोध करते हुए उसे हटाने का निवेदन किया जिसे मैंने तुरंत हटा दिया ........
क्योंकि मैं उसे वैसे भी हटाने वाला ही था . .........................................
मतलब समझ गए न ..........हाँ ........ इनकी दुकान में खुद का सामान नहीं है ..लोगों
का माल उठा उठा कर लाते हैं और बेचते हैं . इनके ब्लॉग पर प्रकाशित सामग्री का
उपयोग कोई दूसरा नहीं कर सकता,लेकिन औरों का माल इनको पिताजी का घर
दिखता है ......टहलते हुए गए और उठा के ले आये ......दोगलेपन की पराकाष्ठा के
चरमोत्कर्ष का चरम बिंदु तो यह है कि जिस थाली में खाते हैं उसी में मूतते हैं
का माल उठा उठा कर लाते हैं और बेचते हैं . इनके ब्लॉग पर प्रकाशित सामग्री का
उपयोग कोई दूसरा नहीं कर सकता,लेकिन औरों का माल इनको पिताजी का घर
दिखता है ......टहलते हुए गए और उठा के ले आये ......दोगलेपन की पराकाष्ठा के
चरमोत्कर्ष का चरम बिंदु तो यह है कि जिस थाली में खाते हैं उसी में मूतते हैं
आपसे यही आशा थी अलबेला जी
जय सियाराम जी की !
albela ji ye post to remove karni hi hogi varna shree prakash jaiswal ji kee tarah aalochnaon ka bhajan hona hoga .thanks shikha ji ye post sajha karne ke liye .
जवाब देंहटाएंhasy ko dhal banaa kar nari ka apamaan nahi sahaa jaa sakataa ........
जवाब देंहटाएंवैसे पोस्ट में ऐसा कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था....न वह माता है...न कोइ देवी गुण युक्त स्त्री....जब तक आप स्वयं को निर्दोष नहीं सिद्ध कर देते आप दोषी की श्रेणी में हैं....
जवाब देंहटाएंश्रीमान अलबेला खत्री
जवाब देंहटाएंआप वैसे इस संबोधन के योग्य नहीं हैं क्योंकि आपकी पोस्ट आपको इस स्तर पर गिरा रही है आपसे उन्होंने क्या कहा केवल इतना कि आप अपनी पोस्ट हटाइए किन्तु कोई भी अभद्र भाषा का प्रयोग उन्होंने नहीं किया ,गलियां देनी सबको आती हैं क्योंकि ये इंडिया है और यहाँ गलियां हवा में बसी हैं किन्तु ये हमारे संस्कार हैं जो हमे उनका प्रयोग करने से रोकते हैं .आप अपनी भाषा में सुधार लाइए ताकि आप यहाँ सम्मानित ब्लोग्गर बने रह सकें .यद् रखिये गलियां देना हर भारतीय को अच्छी तरह से आता है मात्र कलम के शेर हैं आप और वही बने रहिये .
रूपचन्द्र शास्त्री मयंकJuly 7, 2013 at 6:31 AM
जवाब देंहटाएंमैं भी कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ। नहीं जानता, काम का बोझ है या उम्र का दबाव!
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पूर्व के कमेंट में सुधार!
आपकी इस पोस्ट का लिंक आज रविवार (7-7-2013) को चर्चा मंच पर है।
सूचनार्थ...!
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